सुरक्षा के आधार पर सिनमाघरों में खाने-पीने की चीजे ले जाने के मुद्दे पर HC ने उठाए सवाल

सुरक्षा के आधार पर सिनमाघरों में खाने-पीने की चीजे ले जाने के मुद्दे पर HC ने उठाए सवाल

Tejinder Singh
Update: 2018-08-08 13:19 GMT
सुरक्षा के आधार पर सिनमाघरों में खाने-पीने की चीजे ले जाने के मुद्दे पर HC ने उठाए सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सुरक्षा के आधार सिनेमा घरों में बाहर से खाने-पीने की चीजें न ले जाने के राज्य सरकार के रुख पर सवाल उठाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि लोग सिनेमा घरों में अपने खाने के लिए वस्तुए लेकर जाएंगे ऐसे में भला यह सुरक्षा के लिए कैसे खतरा हो सकता है? जस्टिस आरवी मोरे व जस्टिस अनूजा प्रभुदेसाई की बेंच ने महानगर निवासी जैनेंद्र बक्षी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सावल किया।

याचिका में मांग की गई है कि सिनेमाघरों में आने वाले लोगों को बाहर से खाने-पीने की चीज लाने की अनुमति दी जाए। क्योंकि वहां पर मनमानी कीमत पर चीजें बेची जाती हैं। सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि यदि एयरपोर्ट में यात्रियों को खाने-पीने की चीजे ले जाने की इजाजत होती है तो सिनेमाघरों में  खाद्य समाग्री ले जाने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती है।

एयरपोर्ट जैसे मेटल डिटेक्टर सिनेमाघरों में भी लगे होते हैं? ऐसे में भला सुरक्षा से कैसे खिलवाड़ हो सकता है? सरकार का हलफनामा यह स्पष्ट नहीं करता है कि यदि बाहर से खाने-पीने की चीजे ले जाने-देने की अनुमति दी जाती है तो किस तरह की सुरक्षा को खतरा हो सकता है? इसका कुछ तो कारण बताया जाना चाहिए।

मंगलवार को राज्य सरकार ने इस विषय को लेकर हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया था। जिसमें कहा गया था कि नियमों के तहत लोगों को सिनेमाघरों में बाहर से खाने-पीने की चीजे ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। क्योंकि इससे सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। हलफनामे में कहा गया था कि सरकार सिनेमाघरों व मल्टीप्लेक्स के मालिकों को एक निर्देश जारी करेगी। जिसमें उन्हें एमआरपी की दर पर खाने-पीने की चीजे बेचने के लिए कहा जाएगा। 

इस दौरान मल्टीप्लेक्स ओनर एसोसिएशन की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल छागला ने कहा कि सिनेमाघर एक निजी जगह है, जहां लोगों का प्रवेश सीमित है। सिनेमाघर मालिक अपने नियम बना सकते हैं। इसलिए वहां पर बेची जानेवाले चीजों की कीमतों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि कल को लोग होटलों में में घर का खाना ले जाने की मांग करेंगे। क्या उन्हें इसकी इजाजत दी जाएगी। 

सिनेमाघरों का मुख्य काम सिनेमा दिखान है समान बेचना नहीं
इस पर बेंच ने कहा कि सिनेमाघरों का मुख्य काम व कारोबार सिनेमा दिखाना है, वहां समान बेचना नहीं। जबकि होटलों का कारोबारा सिर्फ खाना बेचना है। इस बीच याचिकाकर्ता के वकील आदित्य प्रताप सिंह ने कहा कि जम्मु-कश्माीर हाईकोर्ट ने वहां के सिनेमाघरों में बाहर से खाने-पीने की चीजें ले जाने की अनुमति दी है। इस दलील पर बेंच को बताया गया कि इस प्रकरण जैसी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए प्रलंबित है। जिस पर 10 अगस्त को सुनवाई होनी है। इसके बेंच ने कहा कि अब हम इस मामले की सुनवाई 3 सितंबर को करेंगे। इस दौरान बेंच ने लोगों से अपील की कोई भी इस याचिका के प्रलंबित रहते कानून अपने हाथ में न ले।
 

Similar News