उड़द-मूंग खरीदी में हुआ 1 करोड़ रु. से अधिक का घोटाला

उड़द-मूंग खरीदी में हुआ 1 करोड़ रु. से अधिक का घोटाला

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-22 08:37 GMT
उड़द-मूंग खरीदी में हुआ 1 करोड़ रु. से अधिक का घोटाला

डिजिटल डेस्क जबलपुर। जिले में बीते वर्ष हुई  उड़द-मूंग खरीदी के भुगतान को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बीच करीब एक करोड़ रुपए की राशि का घपला होने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं। पता चला है कि पाटन की सहसन समिति खरीदी केन्द्र से जारी कई पावतियां संदिग्ध पाई गई हैं। यदि ऐसा है, तो समिति से भुगतान में गड़बड़ी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीते कई दिनों से उड़द-मूंग खरीदी के भुगतान की बकाया राशि नहीं मिलने की शिकायतें कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी को मिल रहीं थीं। शिकायतों के आधार पर कलेक्टर ने मामले की जांच एसडीएम पाटन पीके सेनगुप्ता को सौंपी थी। एसडीएम ने जांच आगे बढ़ाते हुए तहसीलदार, कृषि अधिकारी, मण्डी अधिकारी और सहकारिता के अधिकारियों की एक समिति का गठन किया था। समिति ने जांच कर विस्तृत रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी, जिसमें सामने समिति से जारी कुछ पावतियां संदिग्ध पाई गई हैं। सूत्र बताते हैं कि जांच रिपोर्ट में खरीदी के लिए जारी करीब 49 पावतियां संदिग्ध हैं, जिसकी आगे की जांच की जा रही है। उधर, जानकारों की माने तो प्रथम दृष्टया  रिपोर्ट से यह साफ हो रहा है कि कहीं न कहीं उपार्जन की पावती जारी करने में कुछ न कुछ गड़बड़ी हुई है। यदि यह सही पाई जाती हैं, तो निश्चित ही शासन को करोड़ों रुपए के भुगतान की चपत लग सकती थी।
पटवारी रिपोर्ट बता रही उड़द-मूंग बोया ही नहीं
जांच समिति ने पड़ताल करते हुए संदिग्ध पावितयों की जांच पटवारी से करवाई थी। पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जयश्री, राकेश कुमार, सुरेश, डब्बल आदि की भूमि पर उड़द-मूंग बोई ही नहीं गई। इसके साथ ही जब पावती के संबंध में एसडीएम के समक्ष उन्हें उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने को कहा गया तो इनमें से कोई नहीं पहुंचा। वहीं दूसरी ओर पटवारी की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, रूपलाल, मोहनतारा, मनोज, अंजना बाबूलाल जैन के खेतों में अरहर की खेती की गई थी, जबकि विक्रय मूंग-उड़द का दिखाया गया।
इनका नहीं हुआ सत्यापन
पता चला है कि 49 किसानों की सूची में सत्येन्द्र, नारायण, व्ही हेमंत, जगप्रताप, नरेश पुरी, रामपुरी, परमलाल, रूपचंद, सतीश सचिन चौरसिया का पनागर तहसील से संबंधित होना पाया गया। इसके चलते इनका सत्यापन नहीं हो सका। सूत्रों की माने तो यह सभी पनागर तहसील के अंतर्गत विभिन्न ग्रामों के रहवासी हैं और इनकी खेती-बाड़ी भी पनागर क्षेत्र में है। इसके बावजूद इनको उड़द-मूंग के भुगतान की पावती पाटन के सहसन समिति से जारी कर दी गई, जो संदेह के दायरे में आती हैं।
                                         फर्जी पावती पेश कर भुगतान की मांग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में उपायुक्त सहकारिता को एफआईआर कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें लगभग एक करोड़ रुपए की आर्थिक अनियमितता होने की संभावना है।
- महेशचन्द्र चौधरी कलेक्टर

 

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