पांडवों ने कराया था इस मंदिर का निर्माण, दर्शन मात्र से दुख हो जाते है दूर

पांडवों ने कराया था इस मंदिर का निर्माण, दर्शन मात्र से दुख हो जाते है दूर

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-09 06:38 GMT
पांडवों ने कराया था इस मंदिर का निर्माण, दर्शन मात्र से दुख हो जाते है दूर

डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली। जिले में पांडवों ने अज्ञातवास किया था इतिहास में इस बात का जिक्र मिलता है। अपने अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कई जगहों पर मंदिरों का निर्माण कराया था। इन्ही मंदिरों में से एक है सेमाना देवस्थान।

गौरतलब है कि जिला मुख्यालय से सिर्फ 4 किमी की दूरी पर चामोर्शी महामार्ग पर श्रीक्षेत्र सेमाना देवस्थान बसा हुआ है। सेमाना देवस्थान की मान्यता है कि इस मंदिर में सिर्फ एक बार मत्था टेकने से हर पीड़ा, हर दुख दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि फिलहाल यह मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। हर शनिवार को श्रीक्षेत्र हनुमान के दर्शन के लिए यहां सैकड़ों श्रद्धालुओं यहां आते हैं। 
मंदिर में स्थापित की गई करीब 40 फीट ऊंची हनुमान की मूर्ति लोगों को आकर्षित करने के लिए काफी है। 

मंदिर के संचालन के लिए श्रीक्षेत्र से माना हनुमान देवस्थान समिति का गठन किया गया है। समिति के जरिए मंदिर में विभिन्न कार्य किए गए हैं। इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी खास व्यवस्था की गई है। समाज प्रबोधन के साथ ही धार्मिकता से जुड़ी कई बातों के दर्शन यहां हो जाते हैं। नया वाहन हो या नया मकान, हर कोई सर्वप्रथम इसी मंदिर के दर्शन कर पूजा-अर्चना करता है। विवाहकार्य में भी सर्वप्रथम आमंत्रण पत्र इसी मंदिर को चढ़ाया जाता है।  

कैसे पड़ा नाम ?
कई सालों पहले श्री क्षेत्र सेमाना के नाम से एक गांव बसाया गया था। द्वापर युग में इस गांव का उल्लेख किया गया है। जिस समय पांडवों को अज्ञातवास सुनाया गया, उस समय पांडवों ने जिले की आरमोरी तहसील के वैरागढ़ किले में कुछ समय बिताया। बाद में उनका सफर आगे बढ़ा तो वे सेमाना गांव पहुंचे। कौरवों के साथ युद्ध करने की शक्ति प्राप्त करने के लिए उन्होंने भगवान बजरंगबली की साधना शुरू की। सेमाना गांव के मुख्य चौराहे पर उन्होंने भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों की स्थापना की। हनुमानजी की मूर्ति एक महुआ वृक्ष में स्थापित की गई, जो आज भी है। काफी दिन मंदिर में रहने के बाद उन्होंने चामोर्शी तहसील के मार्कंडा देवस्थान की ओर रूख किया।

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