नाग नदी को हेरिटेज लिस्ट में रखने की मांग, कोर्ट तक पहुंचा मामला

नाग नदी को हेरिटेज लिस्ट में रखने की मांग, कोर्ट तक पहुंचा मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-08 11:05 GMT
नाग नदी को हेरिटेज लिस्ट में रखने की मांग, कोर्ट तक पहुंचा मामला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर के लोग नाग नदी के नाम से विख्यात इस पुरातन नदी को हैरिटेज लिस्ट से अलग करने के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं। कहीं ना कहीं यह खबर उन्हें आहत पहुंचा रही है। बता दें नागपुर का नाम नाग नदी से रखा गया है। यह नदी नागपुर के पुराने हिस्से से गुजरती है। नागपुर महानगर पालिका के चिन्ह पर नदी और एक नाग है। अपने नाम से विख्यात होने के बावजूद नाग नदी सहित शहर के 49 धरोहरों को पुरातत्व सूची से बाहर किया गया है । इस मुद्दे पर आरटीआई कार्यकर्ता शाहिद शरीफ ने पुरातत्व कमेटी को लिखित युक्तिवाद करते हुए कमेटी से अनुरोध किया है कि शहर की धरोहरों की रक्षा की जाए। 

कोर्ट तक पहुंचा मामला

उन्होंने लिखा है कि ऐतिहासिक नदी के नाम पर ही उप-राजधानी का नाम पड़ा है। इस नदी का उद्गम स्थल अंबाझरी बांध के समीप है। ब्रिटिशकाल में करीब 164 वर्ष पूर्व यह बांध बनाया गया था। पुरातत्व सूची में नदी प्रथम श्रेणी में है। इसका पर्यटन में भी विशेष महत्व है। इसे पुरातत्व सूची से हटाया जाना शहर की तौहीन और यहां के 1 करोड़ लोगों के साथ अन्याय है। इसके कायाकल्प तथा विकास के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने 1252 करोड़ रुपए की निधि प्रदान की है  तथा नदी की  साफ-सफाई और इसमें गंदा पानी छोड़ने से  रोकने के लिए 1300 करोड़ रुपए की विविध परियोजनाओं पर कार्य हो रहा है। नागनदी सहित 49 ढांचों को पुरातत्व सूची से बाहर किए जाने को उच्चतम न्यायालय में भी चुनौती दी गई है। उच्चतम न्यायालय ने इसके लिए आमजन से आपत्ति बुलाने तथा जनसुनवाई करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा नाग नदी को सूची से हटाने तथा इस क्षेत्र में हो रहे नागपुर मेट्रो के कार्य को लेकर मेरे द्वारा दायर याचिका में भी चुनौती दी गई है। शरीफ ने हेरिटेज कमेटी से इस पर पुन: विचार करने का अनुरोध अपने लिखित युक्तिवाद में किया है। 

दल ने किया था दौरा

नाग नदी सफाई अभियान के लिए वर्ष 2012 में 126 करोड़ रुपए का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया था गया था, जिसे 2013 में मंजूर कर केंद्र सरकार के पास भेजा गया। वहां प्रस्ताव प्राप्त होने के पश्चात 19 जुलाई 2014 को आईआईटी रुड़की से एक दल ने शहर का दौरा भी किया था। इस दल ने प्रदूषण कम करने वाले बिंदुओं का खाका तैयार किया था। 40 से 45 बिंदुओं पर इस दल ने मनपा से उत्तर मांगे गए थे। संबंधित बिंदुओं को दोबारा मूल डीपीआर(विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) में शामिल किया गया। फरवरी 2016 को आईआईटी रुड़की की टीम ने 1476 करोड़ रुपए परियोजना के लिए देने का प्रस्ताव दिया है। इतनी सारी प्रक्रिया करने के बाद अब इसे हैरिटेज सूची से बाहर कर दिया गया। हालांकि शहर के बीचोंबीच बहने वाली इस नदी में नालों और गडर का पानी छोड़ा जाता है जिससे भीषण बदबू भी लोगों को झेलनी पड़ती है। इस पर ठोस उपाय निकालने की बजाए बेहाल छोड़ना पुरातत्वविदों को गवारा नहीं लग रहा है।

Similar News