बारिश के कारण पार्किंग की जगह पर उभर आए गड्ढे, पाटने में लगेंगे 4 करोड़ रुपए
बारिश के कारण पार्किंग की जगह पर उभर आए गड्ढे, पाटने में लगेंगे 4 करोड़ रुपए
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के आदेश के बाद सिविल लाइंस स्थित जिला व सत्र न्यायालय की पार्किंग की समस्या को दूर करने के लिए पुराने हाईकोर्ट परिसर की डेढ़ एकड़ जमीन उपलब्ध कराई गई थी। इसके बावजूद जिला बार एसोसिएशन (डीबीए) द्वारा यहां पार्किंग व्यवस्था शुरू नहीं कराई गई। यह मामला हाईकोर्ट की सुनवाई में आया, तो डीबीए ने इस पर अपना स्पष्टीकरण दिया। डीबीए के अधिवक्ता उदय डबले ने हाईकोर्ट को बताया कि इस डेढ़ एकड़ जमीन पर बारिश के कारण बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं, जिससे यहां पार्किंग व्यवस्था शुरू करना संभव नहीं है। इस जमीन को समतल करने के लिए प्रशासन ने कुल 4 करोड़ का खर्च बताया है।
याचिकाकर्ता एड. मनोज साबले के अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने हाईकोर्ट में अपनी राय दी कि वकील चंदा जमा कर यह रकम जुटा सकते हैं, तो इसका डीबीए ने विरोध किया। ऐसे में फिलहाल समाधान स्वरूप हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण और नागपुर महानगर पालिका को आदेश दिए हैं कि उनके कार्य क्षेत्र के तहत होने वाले निर्माणकार्यों का मलबा इस भूखंड को समतल करने में इस्तेमाल किया जाए।
यह हुआ था फैसला
जिला न्यायालय की पार्किंग अस्थाई रूप से आरक्षित की गई है। इसके लिए हाईकोर्ट ने इस परिसर में जीर्ण अवस्था में पड़ी कैंटीन और कर्मचारी आवास ढहाने के आदेश दिए थे। नागपुर मनपा को तीन दिन के भीतर इस जमीन को समतल कर पार्किंग के लायक बनाने के आदेश दिए गए थे, जबकि जिला बार एसोसिएशन को यहां पे-एंड पार्क सेवा के लिए टेंडर मंगाने के आदेश दिए थे, लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ, इसलिए यह मुद्दा याचिकाकर्ता की ओर से उठाया गया।
यह है मामला
याचिकाकर्ता ने विदर्भ के विविध न्यायालयों की अव्यवस्था के मुद्दे इस याचिका में उठाए हैं। याचिकाकर्ता की दलील है कि जिला न्यायालय परिसर में जगह की इतनी कमी है कि यहां आपातकाल में न्यायालय परिसर में फायर ब्रिगेड या एंबुलेंस तक दाखिल नहीं हो सकती। सिविल लाइंस स्थित जिला न्यायालय में पार्किंग की समस्या है। जगह कम है और वाहन अधिक। इसके समाधान के लिए न्यायमंदिर परिसर में पार्किंग प्लाजा बनाने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। सिविल लाइंस स्थित भवन को वर्ष 1976 में जिला न्यायालय के लिए हस्तांंतरित किया गया था। उस समय लगभग 600 वकील थे। आज यह संख्या 6000 के करीब पहुंच गई है। ऐसे में सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए नागपुर बेंच के कार्यक्षेत्र में आने वाले विभिन्न जिला न्यायालयों की सुविधाअों में सुधार करने का मुद्दा जनहित याचिका में उठाया गया है।