महारेरा का रिकवरी वारंट, निर्मल नगरी की 300 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच करने का आदेश

महारेरा का रिकवरी वारंट, निर्मल नगरी की 300 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच करने का आदेश

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-31 08:57 GMT
महारेरा का रिकवरी वारंट, निर्मल नगरी की 300 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच करने का आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (महारेरा) ने निर्मल नगरी की संपत्ति अटैच करने का आदेश नहीं मानने पर जिला प्रशासन को एक बार फिर रिकवरी वारंट जारी किया है। महारेरा को  निर्मल नगरी से 6 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूलना है। रिकवरी वसूली के अधिकार जिला प्रशासन को दिए गए हैं। इसके लिए निर्मल नगरी की करीब 300 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच करने के आदेश जिला प्रशासन को दिए गए हैं। यह संपत्ति तब तक जिला प्रशासन के कब्जे में रहेगी, जब तक निर्मल नगरी जुर्माने के 6 करोड़ रुपए जमा नहीं कर देती। रिकवरी वारंट में पूछा गया है कि, अब तक निर्मल नगरी की संपत्ति क्यों नहीं अटैच की गई है? इससे पहले महारेरा ने अप्रैल में जिलाधिकारी कार्यालय को पत्र जारी कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। प्रशासन को पत्र मिलने के बाद अधिकारी हरकत में आ गए हैं। निर्मल नगरी की संपत्ति अटैच करने की तैयारी शुरू कर दी है। 

17.4 एकड़ में है परियोजना
जानकारी के अनुसार प्रणाली पुट्टेवार ने वर्ष-2017 में महाराष्ट्र रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि, निर्मल नगरी ने महारेरा अंतर्गत पंजीयन कराए बिना रिंग रोड नागपुर स्थित 17.4 एकड़ जमीन पर बड़ी परियोजना को साकार किया है, जो महारेरा  कानून की धारा 3 का उल्लंघन है। शिकायतकर्ता ने प्राधिकरण को बताया कि, भले ही प्रतिवादियों ने वर्ष-2008 और 2012 में मनपा से परियोजना बनाने की अनुमति ली हो, लेकिन महानगरपालिका ने प्रतिवादियों द्वारा किए गए अनधिकृत निर्माण के चलते कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किया है। प्राधिकरण ने माना कि, परियोजना की लागत 300 करोड़ रुपए से कम नहीं है। प्राधिकरण ने पाया कि, उच्च न्यायालय ने भी वर्ष-2017 में एक याचिका में परियोजना को 60 दिन के अंदर पंजीकृत कराने का आदेश दिया था। प्रतिवादियों ने इसके लिए अंडरटेकिंग भी दी थी, लेकिन उसका पालन नहीं किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद प्राधिकरण ने 4 जनवरी-2019 को आदेश जारी कर प्रतिवादियों को महारेरा अंतर्गत परियोजना को 3 सप्ताह में पंजीकृत कराने तथा 6 करोड़ रुपया जुर्माना भरने के आदेश दिए थे। 

नहीं ला पाए ‘स्टे’
प्रमोद मानमोड़े सहित निर्मल नगरी के सभी निदेशकों ने प्राधिकरण के आदेश का पालन नहीं किया। न तो महारेरा अंतर्गत परियोजना को पंजीकृत कराया और न ही 6 करोड़ का जुर्माना भरा। इस पर शिकायतकर्ता ने रिकवरी एप्लिकेशन दायर कर वारंट जारी करने की मांग की। प्राधिकरण ने दोनों पक्षों को सुना। 4 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों के वकील ने अपील दायर करने और आदेश पर स्थगनादेश लाने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा। हालांकि 10 दिन बाद की तारीख पर प्रतिवादी स्थगनादेश प्रस्तुत नहीं कर सके, बल्कि प्रतिवादियों के वकील ने प्राधिकरण को बताया कि, अपील दाखिल नहीं हो सकी है, अत: और समय दिया जाए। प्राधिकरण ने इसे खारिज करते हुए 14 अक्टूबर को धारा 40 (1) के अंतर्गत रिकवरी वारंट जारी करने के आदेश दे दिए। आदेश के क्रियान्वयन के लिए कॉपी के साथ पत्र नागपुर जिलाधीश को भेज दिया। 

जिला प्रशासन को वसूल करना 
निर्मल नगरी से 6 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूल करना है। इसके लिए जिला प्रशासन को दोबारा रिकवरी वारंट जारी किया गया है।  -गिरीश जोशी, उप-सचिव, महारेरा 

चुनाव में व्यस्त थे अधिकारी 
चुनाव के कारण सभी अधिकारी व्यस्त थे। अभी दिवाली की छुट्टी थी। इस बाबत आगे कार्रवाई की जाएगी।  -रवींद्र ठाकरे, जिलाधिकारी नागपुर 
 


 

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