हार्वेस्टर चालक किसानों को टोल वसूली में राहत, गड़करी का किसानों ने माना आभार

हार्वेस्टर चालक किसानों को टोल वसूली में राहत, गड़करी का किसानों ने माना आभार

Anita Peddulwar
Update: 2020-03-09 09:51 GMT
हार्वेस्टर चालक किसानों को टोल वसूली में राहत, गड़करी का किसानों ने माना आभार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में हार्वेस्टर का पूरक व्यवसाय कर रहे किसानों को परमिट व टोल वसूली के मामले में राहत मिली है। किसानों ने सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी का आभार माना है। खेत में धान चुराई के लिए हार्वेस्टर यंत्र पंजाब से लाए जा रहे हैं। पंजाब आरटीओ से तत्कालिक नंबर मिलने से किसानों को नागपुर में स्थायी नंबर व हार्वेस्टर आरटीओ पासिंग की सुविधा मिल रही है। बताया गया है कि पंजाब आरटीओ व हार्वेस्टर कंपनी ने किसानों को तत्कालिक नंबर देने से नकार दिया था। उस नंबर के बिना स्थायी नंबर नहीं मिल पाता था।

लिहाजा हार्वेस्टर चालकों को बड़ी अड़चन का सामना करना पड़ रहा था। गडकरी ने पंजाब आरटीआे व संबंधित कंपनी से चर्चा कर किसानों को हार्वेस्टर नंबर दिलाए। हार्वेस्टर चालकों से टोल नाके पर 600 से 800 रुपए तक वसूले जा रहे थे। अब हार्वेस्टर को टोल मुक्त कर दिया गया है। हार्वेस्टर किसानों के अनुसार पुलिस भी परेशान करती रहती है। ग्रामीण क्षेत्र में काम के समय हार्वेस्टर का इंडिकेटर टूट जाता है, लेकिन इंडिकेटर को लेकर पुलिस वसूली करती है। 

गौशला ट्रस्ट अध्यक्ष व 3 किसानों को राहत
 बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने भंडारा जिले के लाखनी स्थित मातोश्री गौशाला ट्रस्ट अध्यक्ष समेत तीन किसानों को राहत दी है। हाईकोर्ट ने चारों के खिलाफ लाखनी पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर रद्द करने के आदेश जारी किए हैं। लाखनी पुलिस ने 21 सितंबर 2019 को ट्रस्ट अध्यक्ष यादवराव कापगाते (70) और तीन किसानों राजेश सारवे (35), नीलेश तरोने (27) और हेमंत बेहरे (35) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। दरअसल, किसानों ने कृषि कार्य के लिए ट्रस्ट में आवेदन देकर कुछ मवेशी देने की प्रार्थना की थी। ट्रस्ट ने उनके आवेदनों के मद्देनजर उन्हें 5 मवेशी दिए।

जब ये लोग मवेशियों को वाहन में लादकर अपने खेत की ओर ले जा रहे थे, तो क्षेत्र के विनायक मुंगमोडे ने लाखनी पुलिस में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत शिकायत कर दी। पुलिस ने उक्त चारों के खिलाफ मामला दर्ज किया, तो उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट में उनके वकील राजेंद्र डागा ने दलील दी कि, यह आरोप असंज्ञेय है, इसकी जांच के लिए जेएमएफसी कोर्ट की अनुमति जरूरी है। वही मामले में सरकारी पक्ष ने कहीं भी ये साबित नहीं किया है कि, मवेशियों काे ले जाते समय उन पर कोई भी क्रूरता हुई है। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने चारों पर दर्ज एफआईआर रद्द करने का आदेश जारी किया। 

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