लोकसभा की तर्ज पर विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए बने हैं नियम 

राज्य सरकार का दावा  लोकसभा की तर्ज पर विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए बने हैं नियम 

Tejinder Singh
Update: 2022-02-28 15:20 GMT
लोकसभा की तर्ज पर विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए बने हैं नियम 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि जैसे नियमों के तहत लोकसभा में अध्यक्ष का चुनाव होता है उसी तरह राज्य विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए नियम बनाए गए हैं। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि केंद्र में प्रधानमंत्री को लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय करने का अधिकार है, वैसे ही नियम राज्य विधानसभा के अध्यक्ष चुनाव के लिए बनाया गया है। 

सुनवाई शुरु करने के लिए जमा करो 2 लाख 

हाईकोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर संशोधित किए गए नियमों को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई चल रही है। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता जनक व्यास ने दायर की है। इससे पहले कोर्ट ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता अदालत में दो लाख रुपए जमा करे इसके बाद इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी। यदि याचिकाकर्ता यह रकम जमा नहीं करते हैं तो याचिका अपने आप समाप्त हो जाएगी। याचिका में मुख्य रुप से विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव को लेकर नियमों में किए गए संसोधन को लेकर 23 दिसंबर 2021 को जारी अधिसूचना को अवैध व असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। 

याचिका में दावा किया गया है कि पहले विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्यपाल तय करते थे लेकिन नियमों में संसोधन के चलते चुनाव की तारिख तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री को दे दिया गया है। यह संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। याचिका के मुताबिक नियमों में संशोधन करके चुनाव की सीक्रेट बैलेट व्यवस्था को ध्वनिमत में बदल दिया गया है। याचिकाकर्ता के वकील अभिनव चंद्रचूड के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए जो बदलाव किया गया है वह संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ व मनमानीपूर्ण है। नियमों में संसोधन मुख्यमंत्री को निरंकुश अधिकार देते हैं। 

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि विधानसभा में 288 सदस्य हैं। चूंकि यह  विधानसभा के कामकाज से जुड़ी नियमावली के संसोधन से जुड़ा मामला है। इसलिए इसे विधानसभा का सदस्य ही चुनौती दे सकता है। आम आदमी इस बारे में याचिका दायर नहीं कर सकता है। क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है। यह अप्रत्यक्ष चुनाव है। जिसमें जनता नहीं विधानसभा के सदस्य मतदान करते हैं। 

सरकार ने किया है विस अध्यक्ष चुनाव के लिए संशोधन 

कुंभकोणी ने कहा कि पहले सिर्फ यह प्रथा थी कि राज्यपाल मंत्रिमंडल की सलाह पर विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय करते थे लेकिन अब नियमों में संशोधन करके प्रथा को नियम का रुप दिया गया है। जिसके तहत मुख्यमंत्री अब चुनाव की तारीख तय कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यदि नियम के तहत प्रधानमंत्री लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय कर सकते है तो मुख्यमंत्री नियम के तहत विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की तारीख क्यों नहीं तय कर सकते। उन्होंने कहा कि जहां तक विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव की बात है तो वे भी चुने जाएंगे न कि उनका चयन होगा। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर सुनवाई 4 मार्च 2022 को रखी है। क्योंकि याचिकाकर्ता ने दो लाख रुपए की रकम कोर्ट में भरने के लिए रजामंदी जाहिर की है। 

 

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