ग्रामीण महिला हीराबाई ने मुर्गीपालन से दो माह में 35 हजार रुपए की आमदनी अर्जित की "खुशियों की दास्तां"

ग्रामीण महिला हीराबाई ने मुर्गीपालन से दो माह में 35 हजार रुपए की आमदनी अर्जित की "खुशियों की दास्तां"

Aditya Upadhyaya
Update: 2020-10-21 10:20 GMT
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डिजिटल डेस्क, रतलाम। म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा स्वसहायता हेतु संचालित की जा रही मुर्गीपालन गतिविधियां ग्राम पंचायतों में निवास करने वाले ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है। सैलाना विकासखण्ड के ग्राम चावडाखेडी की श्रीमती हीराबाई ऐसी ही एक महिला हैं जिन्हें मुर्गीपालन गतिविधि ने अपने पैरों पर खडा कर आत्मनिर्भर बना दिया है। ग्राम चावडाखेडी निवासी श्रीमती हीराबाई मानसिंह ने म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत अपने गणपति स्वसहायता समूह के माध्यम से मुर्गीपालन शेड निर्माण हेतु आवेदन दिया था। आजीविका मिशन द्वारा शेड पूर्ण होने के उपरांत श्रीमती हीराबाई को भारतीय स्टेट बैंक सैलाना द्वारा 17 हजार रुपए चूजे दाना और उपकरण लाने हेतु ऋण प्रदाय किया गया। श्रीमती हीराबाई ने उक्त राशि से 35 रुपए प्रति चूजे की दर से 200 चूजे, उनका दाना-पानी तथा उपकरण क्रय कर मुर्गीपालन का कार्य प्रारम्भ किया। एक महीने के पश्चात ही हीराबाई ने घर से ही 250 से 300 रुपए प्रति मुर्गी की दर से 195 मुर्गियां विक्रय की गई जिससे हीराबाई को 40 हजार 627 रुपए प्राप्त हुए जिसमें से हीराबाई को 30 से 35 हजार रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। बचत की राशि में से हीराबाई ने 200 चूजे पुनःखरीदकर शेड में रखे। 2 दिनों के बाद इन चूजों का वजन 500 से 600 ग्राम हो चुका है। आगामी 10 से 15 दिनों में इन मुर्गियों को बेचकर हीराबाई अपनी कमाई के साथ ही अपने व्यापार को और आगे बढाएंगी। हीराबाई अपने साथ ही अन्य समूह के सदस्यों को भी जोडना चाहती हैं। साथ ही वे मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान का भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहती हैं जिनकी योजना से वे अपने पैरों पर खडे होकर आत्मनिर्भर बनी हैं।

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