'संस्कृत को मिलना चाहिए राष्ट्रभाषा का दर्जा, संविधान में भी रखा प्रस्ताव'

'संस्कृत को मिलना चाहिए राष्ट्रभाषा का दर्जा, संविधान में भी रखा प्रस्ताव'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-11 06:00 GMT
'संस्कृत को मिलना चाहिए राष्ट्रभाषा का दर्जा, संविधान में भी रखा प्रस्ताव'

डिजिटल डेस्क,नागपुर। पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी का कहना है कि संस्कृत को विश्वव्यापी बनाने के लिए सरकारी प्रयास किए जाने चाहिए। संस्कृत को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने का समर्थन भारतरत्न डॉ.बाबासाहब आंबेडकर ने भी किया था। वे मानते थे कि संस्कृत भाषा स्वतंत्र भारत की राष्ट्रभाषा बने। इस संबंध में संविधान सभा में प्रस्ताव भी रखा गया था। आंबेडकर के साथ संविधान सभा के अन्य नेताओं ने प्रस्ताव का समर्थन किया था। 

रविवार को मंत्री जोशी स्व.प्रज्ञाभारती डॉ.श्रीधर भास्कर उर्फ दादासाहब वर्णेकर जन्मशताब्दी महोत्सव समिति की ओर से वर्णेकर को मानवंदन कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। इस दौरान जोशी ने कहा कि देश का इतिहास जानने व भविष्य में भारत को उदीयमान बनाने के लिए संस्कृत को विश्वस्तर पर अपनाने की आवश्यकता है। मंच पर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री व समिति के स्वागताध्यक्ष नितीन गडकरी उपस्थित थे। 
 कार्यक्रम में अभ्यंकरनगर नागरिक मंडल के अध्यक्ष रामभाऊ खांडवे, रवींद्र कासखेडीकर, अशोक गुलझरकर, चंद्रगुप्त वर्णेकर उपस्थित थे। 

संस्कृत को जाति में मत रोको
भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने संस्कृत को लेकर राजनीति का जिक्र करते हुए कहा कि इस भाषा को जाति में मत रोको। संस्कृत ज्ञानभाषा है। संस्कृत को लोकाभिमुख करने की आवश्यकता है। संस्कृत की मार्केटिंग में कमी हुई है। लोगों में संस्कृत को लेकर विरोधाभास है। संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के समय महाराष्ट्र में िवधायकों ने कहा था कि संस्कृत ब्राह्मणों की भाषा है ।

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