राशन दुकानों में मिलेगी अब शालेय सामग्री, आर्थिक तंगी से निकालने सरकार का कदम

राशन दुकानों में मिलेगी अब शालेय सामग्री, आर्थिक तंगी से निकालने सरकार का कदम

Anita Peddulwar
Update: 2019-10-31 06:21 GMT
राशन दुकानों में मिलेगी अब शालेय सामग्री, आर्थिक तंगी से निकालने सरकार का कदम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी राशन दुकान से शालेय सामग्री की बिक्री की जा सकेगी। राज्य सरकार के अन्न, नागरी आपूर्ति तथा ग्राहक संरक्षण विभाग ने 30 अक्टूबर को इस संंबंध में शासनादेश जारी किया है। सरकारी राशन दुकान से शक्कर, केरोसिन गायब हो गए हैं। अब केवल गेहूं, चावल और दाल की बिक्री तक सीमित रह गए हैं। चावल और गेहूं का प्रमाण भी घटा देने से दुकानदारों को दुकान चलाना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। ईंधन, बिजली बिल, कर्मचारियों का वेतन, किराया, स्टेशनरी, मजदूर तथा ढुलाई पर खर्च होने से दुकानदारों के हाथ कुछ भी नहीं बचने से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

राशन दुकानदारों को आर्थिक तंगी से उबारने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत वितरित किए जाने वाले चावल, गेहूं के अतिरिक्त ऊंची गुणवत्ता के गेहूं, चावल, खाद्य तेल, पाम तेल, दलहन, गुड़, मूंगफली दाने, रवा, मैदा, बेसन, खुले बाजार में उपलब्ध अन्य वस्तु, दूध, दुग्धजन्य पदार्थ, प्रमाणित बीज आदि की बिक्री करने की पहले से अनुमति दी जा चुकी है। अब उसी की तर्ज पर शालेय सामग्री बिक्री करने का रास्ता साफ कर दिया गया है। इसकी बिक्री से मिलने वाला कमीशन दुकानदार अपने स्तर पर आपूर्ति एजेंसी से संपर्क कर तय कर सकेंगे। शालेय सामग्री की खरीदी-बिक्री पर सरकार का कोई भी नियंत्रण या हस्तक्षेप नहीं रहने का शासनादेश में स्पष्ट किया गया है।

मानधन को तरस रहे कंट्रीब्यूटरी शिक्षक, फीकी रही दिवाली
क्लॉक अवर बेसिस" (सीएचबी) तौर पर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कैंपस के विविध विभागों और संचालित कॉलेजों में सेवाएं देने वाले कंट्रीब्यूटरी शिक्षक बीते कई महीने से मानदेय के लिए तरस रहे हैं। विश्वविद्यालय ने कई महीने से उनका वेतन जारी नहीं िकया है। जिसके कारण शिक्षकों की दिवाली फीकी साबित हुई। नागपुर विवि में नेट-सेट उत्तीर्ण शिक्षक सीएचबी तौर पर अपनी सेवाएं देते हैं। बदले में उन्हें मानदेय दिया जाता है। संबंधित विभाग या महाविद्यालय उनका बिल बनाकर विवि को प्रस्तुत करता है, जिसके बाद विवि का वित्त व लेखा विभाग उसे मंजूर करता है।

जानकारी के अनुसार कई विभागों ने सीएचबी शिक्षकों के वेतन का बिल अब तक नहीं भेजा है। जिसके कारण शिक्षकों को वेतन नहीं मिल सका है।  वहीं विवि में सीएचबी शिक्षकों के मानदेय को लेकर भी भ्रम है। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष नवंबर में सीएचबी शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि की थी। मानदेय 300 से बढ़ कर 500 रुपए किया गया था। नागपुर विभागीय शिक्षा सहसंचालक डॉ.अर्चना नेरकर ने विवि को इस संबंध मंे सूचना भी दी थी। लेकिन विवि में अब तक सीएचबी शिक्षकों का पुरानी दरों से ही वेतन तय है। इस वजह से विवि में कार्यरत सीएचबी शिक्षकों में नाराजगी देखने को मिल रही है। 

 

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