थप्पड़ का बदला लेने की थी हत्या - कोर्ट ने सुनाई दोहरे आजीवन कारावास की सजा

थप्पड़ का बदला लेने की थी हत्या - कोर्ट ने सुनाई दोहरे आजीवन कारावास की सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-30 09:32 GMT
थप्पड़ का बदला लेने की थी हत्या - कोर्ट ने सुनाई दोहरे आजीवन कारावास की सजा

डिजिटल डेस्क अनूपपुर । 18 जून 2017 को भालूमाड़ा थानान्तर्गत घटित हुए हत्या के मामले में 29 नवंबर को विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति/ जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989) डा. सुभाष कुमार जैन ने निर्णय पारित करते हुए हत्या के 4 आरोपियों को दोहरे आजीवन कारावास तथा 5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित करते हुए जेल भेजा। चारों आरोपियों ने हत्या करते हुए शव को रेलवे ट्रैक पर फेंकते हुए दुर्घटना को स्वरूप देने का प्रयास किया था।  राज्य की ओर से इस मामले की पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरी ने की थी। वहीं पूरे मामले की विवेचना एसडीओपी विजय सिंह द्वारा की गई थी। 
गैगमैन ने दी थी सूचना 
18 जून 2017 को रेलवे गैगमैन दिलीप विश्वकर्मा ने भालूमाड़ा थाने में सूचना दी थी कि रेलवे टे्रक पर एक व्यक्ति का शव पड़ा हुआ है। शव का ऊपरी हिस्सा टे्रन गुजरने के कारण कट गया है। मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक की पहचान कराई तो उसकी पहचान दिनेश कुमार गोड़ उर्फ लाला    के रूप में की गई। वहीं पूछताछ करने पर यह भी तथ्य सामने आया कि घटना वाले दिन मृतक विनोद महरा के साथ देखा गया था। जिसका कि घटना के बाद से कोई पता नहीं चल रहा था। पुलिस ने मर्ग कायम करते हुए जांच प्रारंभ की। 
बछड़े की रसीद का विवाद 
तत्कालीन एसडीओपी विजय सिंह द्वारा मामले की जांंच प्रारंभ की गई। जिसमें यह तथ्य निकल कर सामने आया कि मृतक दिनेश, विनोद महरा व 4 अन्य साथी दिनेश कुमार केवट, वीरेन्द्र लाल केवट, दुर्योधन केवट तथा रामखेलावन केवट के साथ मिलकर पशु खरीदने और बेचने का कार्य करता था। घटना से लगभग 20 दिन पूर्व एक बछड़े की रसीद को लेकर मृतक और दुर्योधन केवट के बीच विवाद हुआ था। विवाद के दौरान ही मृतक ने दुर्योधन को थप्पड़ भी जड़ दिए थे। जिसके बाद से दुर्योधन मृतक से रंजिश रखने लगा था। 
विनोद ने खोली पोल 
घटना के बाद से गायब हुए विनोद महरा की पड़ताल में जुटी पुलिस को जानकारी मिली कि समीप के गांव में  विनोद छुपकर रह रहा है। वह घायल भी है। जब पुलिस ने उसे अभिरक्षा में लेेकर पूछताछ की तो विनोद ने बतलाया कि 18 जून को वह मृतक के साथ सायकल से गांव वापस जा रहा था। तभी एक मोटर सायकल में दुर्योधन और दिनेश  तथा दूसरी मोटर सायकल में रामखेलावन और वीरेन्द्र पीछा करते हुए पहुंचे। दुर्योधन ने मोटर सायकल से मृतक दिनेश की सायकल में ठोकर मारी तो वह नीचे गिर गया। जिसके बाद चारों लोगों ने मिलकर डंडे से पीटकर दिनेश की हत्या कर दी। साथ ही वे दिनेश के शव को रेलवे टै्रक पर डाल दिया।  मैं वहां से भागा तो मेरा पीछा कर उन्होंने जमकर मुझे भी पीटा और कहा कि यह घटना किसी को बतलाई तो तुम्हारा भी यही अंजाम होगा। विनोद के बयान  के आधार पर पुलिस ने धारा 302, 3(2) 5 के तहत मामला पंजीबद्ध किया। 
कांच के टुकडें बने सबूत
पूरे मामले में पुलिस ने 22 साक्षियों को बतौर गवाह न्यायालय में प्रस्तुत किया। वहींं मोटर सायकल के कांच के टुकड़ों को भी घटना स्थल से जब्त किया गया था। जिसका मिलान कराने पर घटना में प्रयुक्त मोटर सायकल से हुआ। रामनरेश गिरी के तर्र्को से संतुष्ट होते हुए चारों आरोपियों को  न्यायाधीश द्वारा धारा 302 में आजीवन कारावास तथा धारा 3(2) 5 में भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 5 हजार रुपयों का अर्थदंड भी अधिरोपित किया गया है। 
चुनौती पूर्ण रहा प्रकरण 
मामले के विवेचक रहे एसडीओपी  विजय प्रताप सिंह ने बतलाया कि यह प्र्रकरण चुनौतीपूर्ण रहा। जहां विनोद महरा  छुपा हुआ था और आरोपियों के दहशत में कुछ भी नहीं कह रहा था। एक ही परिवार के चारो आरोपियों के विरूद्ध साक्ष्य एकत्रित करने में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 
पीडि़तों को मिला न्याय
जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरी ने कहा कि यह निर्णय निश्श्चित ही ऐतिहासिक है। हत्या और साक्ष्य छुपाने  के मामले में पुलिस की विवेचना प्रशंसनीय है। गवाहों के बयान  के आधार पर निर्णित फैसले से पीडि़तों को न्याय मिला है। 

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