मामूली न समझें सर्दी जुकाम को, हो सकता है 'स्वाइन फ्लू' भी

मामूली न समझें सर्दी जुकाम को, हो सकता है 'स्वाइन फ्लू' भी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-25 12:52 GMT
मामूली न समझें सर्दी जुकाम को, हो सकता है 'स्वाइन फ्लू' भी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सर्दी-जुकाम को आमतौर पर मामूली वायरल समझा जाता है लेकिन इन दिनों शहर में इस मामूली बीमारी का संक्रमण स्वाइन फ्लू में निकलने की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्वाइन फ्लू वायरस लगातार फैलता जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वाइन फ्लू का वायरस बीमार लोगों के लिए ज्यादा घातक है, इस साल स्वाइन फ्लू से होने वाली मृत्यु का ऑडिट भी इसी ओर इशारा कर रहा है। इसलिए सर्दी, खांसी, जुकाम आदि होने पर लोगो को तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। चिकित्सकों के अनुसार बारिश का यह मौसम संक्रमण काल का होता है, जिससे बचने की जरूरत है। इस साल नागपुर में हुई स्वाइन फ्लू की मौतों में से 75 फीसदी मरीज पहले से किसी बीमारी से पीड़ित थे।

 6 पॉजिटिव मरीज मिले 
नागपुर विभाग में 6 लोगों को स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। इस वर्ष अब तक 75 लोगों की मृत्यु और 371 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। नागपुर शहर में लगातार स्वाइन फ्लू मरीजाें का आंकड़ा बढ़ रहा है। नागपुर विभाग में पिछले 8 दिनों में 15 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 70 मरीज स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाए गए हैं।

19 सितंबर तक के आंकड़े
नागपुर विभाग में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौत में दो तिहाई मरीज बीमार थे। यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। मृतकों में 28 पहले किसी बीमारी से पीड़ित थे। 9 हाईपरटेंशन से पीड़ित थे, 6 मरीजों को मधुमेह था, जबकि 1 महिला गर्भवती थी। इसके अलावा 19 लोगों को कोई बीमारी नहीं थी। इसमें 28 महिलाएं व 35 पुरुष थे। शहरी क्षेत्र में 47 मृत्यु, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 16 मृत्यु हुई है। इसमें मेडिकल में 7, मेयो में 13 जबकि निजी अस्पतालों में 43 मृत्यु हुई है।

सभी की जांच संभव नहीं
नेशनल गाइड लाइंस के अनुसार स्वाइन फ्लू वायरस के 48 घंटे के अंदर मरीज को टेमीफ्लू दवा देने पर वायरस के प्रभाव को रोका जा सकता है, हालांकि कम ही लोगों को वायरस के 48 घंटों के अंदर दवा मिल पाती है। स्वाइन फ्लू मरीज को नेशनल गाइड लाइंस के अनुसार ए, बी व सी तीन कैटेगरी में बांटा गया है। ए का उपचार सर्दी खांसी का हो, बी को टेमी फ्लू दी जाए, जबकि सी के लक्षण होने पर उसकी जांच करवाई जाए। कई बार जांच होने के पहले ही टेमी फ्लू देने से वायरस खत्म हो जाते हैं और उसकी पुष्टि नहीं हो पाती है। सभी की जांच संभव नहीं है। इसका एक कारण जांच महंगा होना भी है।
 

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