केंद्र के मापदंड से बाहर के किसानों को भी मिलेगी सम्मान निधि, अब सातवां वेतन आयोग के तहत शिक्षकों को वेतन

केंद्र के मापदंड से बाहर के किसानों को भी मिलेगी सम्मान निधि, अब सातवां वेतन आयोग के तहत शिक्षकों को वेतन

Tejinder Singh
Update: 2019-02-22 15:58 GMT
केंद्र के मापदंड से बाहर के किसानों को भी मिलेगी सम्मान निधि, अब सातवां वेतन आयोग के तहत शिक्षकों को वेतन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के बाद अब शिक्षकों को भी सातवां वेतन आयोग लागू करने का फैसला किया गया है। राज्य के अनुदानित निजी प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक स्कूल, कनिष्ठ महाविद्यालय, अध्यापक महाविद्यालय और सैनिक स्कूलों के पूर्णकालिक शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। शुक्रवार को राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी किया। प्रदेश के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने शिक्षकों के लिए सातवें वेतन आयोग को लागू करने के फैसले के बाद विधान परिषद के शिक्षक विधायकों पर निशाना साधा है। तावडे ने कहा कि वेतन आयोग के अब तक के इतिहास में यह पहला मौका है जब सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग लागू होने के उपरांत शिक्षकों को भी इसका लाभ दिया जा रहा है। तावडे ने कहा कि छठवें वेतन आयोग के लागू करने के छह महीने के बाद शिक्षकों के लिए वेतन आयोग को लागू किया गया था। जबकि पांचवें वेतन आयोग लागू होने के चार महीने के बाद शिक्षकों को इसका लाभ मिला था। तावडे ने कहा कि शिक्षकों को पांचवें और छठवें वेतन आयोग का लाभ देरी से मिलने के बाद भी कांग्रेस की वकालत करने वाले शिक्षक विधायक चुप्प थे। इस बार सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग लागू हुए महीना भी पूरा नहीं हुआ है पर शिक्षक विधायकों द्वारा मोर्चा निकालने, वाट्सएप पर मैसेज वायरल करने, उपसचिव दर्जे के अधिकारी से विवाद करना शुरू कर दिया गया था। 

केंद्र के मापदंड से बाहर के किसानों को भी मिलेगी सम्मान निधि 

केंद्र सरकार ने पांच एकड़ से कम भूमिधारक किसानों को सालाना 6 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। लेकिन राज्य के करीब सात लाख किसान ऐसे हैं जो इस योजना के लिए जरूरी मापदंड पूरा नहीं करते। इनमें से ज्यादातर किसान आत्महत्याग्रस्त विदर्भ और मराठवाडा जिलों से आते हैं। चुनावी साल में राज्य सरकार इन किसानों को नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए उन्हें अपनी ओर से आर्थिक सहायता देने की तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक 27 फरवरी को राज्य के अंतरिम बजट के दौरान राज्य सरकार इसके लिए 4500 करोड़ रुपए का प्रावधान करेगी। इससे पहले राज्य सरकार किसान कर्जमाफी पर भी 22 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। दरअसल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावों में हार के बाद भाजपा को किसानों की नाराजगी का एहसास हुआ था। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सत्ता में आने पर गरीबों को सालाना आर्थिक मदद का वादा किया था। माना जा रहा है कि इसी दबाव के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब किसानों को छह हजार रुपए सालाना आर्थिक मदद का ऐलान किया। केंद्र सरकार ने आर्थिक मदद से लिए शर्त रखी है कि यह राशि पाने के लिए किसान के पास 5 एकड़ से कम जमीन होनी चाहिए। किसान, उसकी पत्नी और 18 साल के कम उम्र के बच्चों को परिवार माना जाएगा। लेकिन राज्य सरकार ने अध्ययन किया तो पाया कि इन नियमों के चलते करीब 7 लाख किसान आर्थिक मदद से वंचित रह जाएंगे। इनमें से ज्यादातर किसान विदर्भ और मराठवाडा इलाके के हैं। जिनके पास जमीन तो ज्यादा है लेकिन आर्थिक समस्याओं के चलते सबसे ज्यादा आत्महत्या भी यहीं के किसान कर रहे हैं। सरकार चुनावी साल में इतनी बड़ी संख्या में किसानों को नाराज नहीं करना चाहती इसलिए इन किसानों को अपनी तिजोरी से आर्थिक मदद देने की तैयारी कर रही है। राज्य के कृषि मंत्री चंद्रकांत पाटील के मुताबिक राज्य में 1.52 करोड़ किसान हैं जिनमें से 82 फीसदी को केंद्र सरकार की योजना का लाभ मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक न्यूनतम आय और कर्जमाफी के साथ राज्य सरकार उन किसानों को आर्थिक मदद का भी ऐलान कर सकती है जो सूखा प्रभावित इलाकों के हैं और जिन्होंने कपास और सोयाबीन जैसी नकद फसल के बजाय अनाज उगाया है। 
 

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