आधी ही रह जाएगी मैहर की त्रिकूट पहाड़ी : जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया

आधी ही रह जाएगी मैहर की त्रिकूट पहाड़ी : जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-25 07:49 GMT
आधी ही रह जाएगी मैहर की त्रिकूट पहाड़ी : जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया

डिजिटल डेस्क, सतना। मां शारदा मंदिर के लिए समूचे देश में जाहिर मैहर की त्रिकूट पहाड़ी का लगातार क्षरण हो रहा है। कुछ महीने पहले जियोग्राफिकल सर्वे ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के बाद जानकारों के माथे पर सलवटें बढ़ गईं।  रिपोर्ट में कहा गया है कि मैहर की पहाड़ी पूरी तरह से सेडीमेन्ट्री राक (परतदार चट्टान) से बनी हुई है। साल दर साल गर्मी के दिनों में तेज धूप पडऩे से इन चट्टानों में दरारें आ जाती हैं। जैसे ही बारिश होती है तो इन दरारों से होकर बरसाती पानी चट्टानों के भीतर तक पहुंचता है और वह धीरे-धीरे घुलने लगती हैं। घुलनशीलता के कारण तेज बारिश के समय पहाड़ी पर कटाव भी बढ़ जाता है।

रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि यदि पहाड़ी का भू-क्षरण रोकने के लिए कारगर इंतजाम नहीं किए गए तो आने वाली दो शताब्दियों में पहाड़ी की ऊंचाई आधी भी नहीं बचेगी। मैहर देवी मंदिर के यथास्थित रहने पर भी आशंका जाहिर की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पहाड़ी का क्षरण पूरी तरह से रुके, इसके लिए एक तो सघन वृक्षारोपण होना चाहिए, दूसरे कटाव की संभावना वाले ढलानों पर विशेष प्रकार की घास लगाई जानी चाहिए। जिसकी जड़ें मिट्टी के कटाव को रोकने में सक्षम हैं। इस सम्बंध में वन विभाग के अधिकारियों से जब बात की गई तो कहा यह गया कि पहाड़ी का क्षरण रोकने के लिए दीर्घावधि की योजनाएं बनाई जा रही हैं। निरंतर कई वर्षों तक यहां सघन वृक्षारोपण किए जाने की योजना है।



यह बचाएंगे इरोजन
590 फिट ऊंची मैहर की त्रिकूट पहाड़ी गोलाकार है। यहां का इरोजन बचाने के लिए त्रिस्तरीय पौधे लगाए जाने हैं। जिनमें से पीपल, बरगद, पाकर, ऊमर, पलास जैसे पौधे इतने बड़े होते हैं कि जहां यह लगाए जाते हैं वहां सूर्य की किरणें और बारिश की बूंदें पूरे बेग के साथ नहीं गिर पाती हैं। कुछ पौधे ऐसे होते हैं, जिनकी ऊंचाई उपरोक्त पौधों से कम होती है, जो बड़े पेड़ों से छनकर आने वाली किरणों और बारिश के बेग को और कम कर देते हैं। पहाड़ी की सतह पर झाड़ीनुमा घास लगाई जानी है। यह कार्य इसी सत्र से प्रारंभ होगा।

इनका कहना है
मैहर पहाड़ी का क्षरण रोकने के लिए ऐसी योजना बनाई गई है, जिसमें कई वर्षों तक निरंतर वृक्षारोपण किया जाएगा। विशेषज्ञों से राय लेकर घास लगाने की भी योजना है। प्रयास यह होगा कि क्षरण पूरी तरह से रोका जाए।
राजीव मिश्र, वन मंडलाधिकारी

 

 

 

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