कोरोना से संक्रमित बीमित को कैशलेस नहीं किया और बिल लगाने पर नहीं दिया जा रहा क्लेम

कोरोना से संक्रमित बीमित को कैशलेस नहीं किया और बिल लगाने पर नहीं दिया जा रहा क्लेम

Bhaskar Hindi
Update: 2021-07-26 16:49 GMT
कोरोना से संक्रमित बीमित को कैशलेस नहीं किया और बिल लगाने पर नहीं दिया जा रहा क्लेम



डिजिटल डेस्क जबलपुर। आम लोग इस उम्मीद के साथ बीमा पॉलिसी कराते हैं कि उन्हें जरूरत पडऩे पर हरसंभव मदद मिल सके। जब बीमित को उपचार के लिए बीमा कंपनियों की आवश्यकता होती है तो बीमा कंपनियाँ पहले तो अस्पतालों में कैशलेस से मना कर देती हैं और पॉलिसी धारक को सारा भुगतान जेब से करना पड़ता है। बीमित अपने इलाज की राशि पाने के लिए बीमा कंपनी में क्लेम करता है तो अनेक प्रकार के दस्तावेज माँगे जाते हैं, जो कि पहले से पॉलिसी धारक जमा कर चुका होता है। बीमित को दोबारा वही दस्तावेज फिर से बीमा कंपनी में सबमिट करना पड़ता है। सारी फॉर्मेलिटी पूरी करने के बाद भी बीमा कंपनी द्वारा अनेक खामियाँ निकाली जाती हैं और उसके बाद पॉलिसी धारक के घर नो क्लेम का लैटर भेज दिया जाता है। बीमित नो क्लेम के बारे में जानना चाहता है तो उसे बीमा कंपनी के द्वारा किसी तरह की जानकारी नहीं दी जाती। कोरोना से संक्रमित होने पर भी बीमा कंपनी ने आज तक क्लेम नहीं दिया।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
विजय नगर निवासी मुकेश पटैल ने अपनी शिकायत में बताया कि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से स्वास्थ्य बीमा कराया हुआ था। सालों से उक्त कंपनी की बीमा पॉलिसी का संचालन करते हुए आ रहे हैं। अप्रैल 2021 में कोरोना से संक्रमित होने पर वे मेट्रो अस्पताल में भर्ती हुए थे। बीमा कंपनी का कैशलेस कार्ड दिया तो बीमा कंपनी ने कैशलेस से इनकार कर दिया और बिल जमा करने पर बिल स्वीकृत करने का आश्वासन दिया था। उपचार के बाद बीमा कंपनी में बिल लगाए तो उसने अनेक क्वेरी निकालीं। क्वेरी निकालने के बाद बीमा कंपनी ने 2 लाख 34 हजार से अधिक के बिल को जल्द स्वीकृत करने के लिए कहा लेकिन आज तक उसका निराकरण नहीं किया। आंध्रा बैंक के माध्यम से भी सारे बिल भेजे गए लेकिन बीमा कंपनी की टीपीए द्वारा बीमित को परेशान किया जा रहा है। पीडि़त का आरोप है कि बीमा कंपनी की टीपीए जो होती है उनके सर्वेयर व क्लेम टीम के सदस्य जानबूझकर परेशान करते हैं।
इनका कहना है-
बीमित अपना पॉलिसी कार्ड लेकर हमारे पास आएँ तो हम जल्द ही मामले का निराकरण करने का प्रयास करेंगे। चूँकि बैंक के माध्यम से होने वाली पॉलिसी का ऑफिस अलग होता है उसी के कारण दिक्कत होती है फिर भी हम जल्द निराकरण कराने संबंधित कार्यालय को मेल करेंगे।
-जयंत रैकवार, डिवीजनल मैनेजर यूनाइटेड इंश्योरेंस कंपनी

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