साल भर में 43 प्रतिशत कर वसूल पाई नगर पालिका
साल भर में 43 प्रतिशत कर वसूल पाई नगर पालिका
डिजिटल डेस्क सीधी। नगरपालिका परिषद सीधी वित्तीय वर्ष 2017-18 के करों की वसूली में फिसड्डी साबित हो रही है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के आंकड़े बताते हैं कि नगरपालिका ने अपने समस्त करदाताओं से माह जनवरी 2018 तक मात्र 42.71 प्रतिशत करों की वसूली की है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के मात्र 22 दिन शेष हैं अब देखना है कि इन शेष दिनों में नगरपालिका और कितना वसूली कर पाती है।
उल्लेखनीय है कि नगरपालिका वर्ष के प्रारंभ में पुरानी बकाया मांग का मात्र 26.87 प्रतिशत हिस्सा वसूल कर पाई है। पुराने करों को वसूल पाने में नगरपालिका के कर्मचारी अधिकारी लापरवाह नजर आते हैं। लाख सें ऊपर कई बकायादारों के बकाया राशि की वसूली करने में नगरपालिका अधिकारियों के पसीने छूट रहे हंै। ऐसी स्थिति में शेष करों के बड़े बकाया राशि की वसूली हो पाने की संभावना कम ही दिख रही है। बता दें कि नगरपालिका क्षेत्र के करदाताओं पर संपत्तिकर की देनदारी ज्यादा देखी जा रही है। इसी तरह जलकर, समेकित कर, शिक्षा उपकर के बकायादार भी भारी मात्रा में देखे जा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि नगरपालिका ने समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में सम्पत्तिकर की वसूली 32.61 प्रतिशत, समेकित कर 10.15 प्रतिशत, शिक्षा उपकर 28.89 प्रतिशत, विकास उपकर 31.87 प्रतिशत, दुकान, भवन किराया 56.87 प्रतिशत व जलकर 30.14 प्रतिशत की वसूली की है। आंकड़ों को देखा जाय तो अभी वसूली काफी बाकी है। समेकित कर तो 90 प्रतिशत के करीब बकाया है। इसी तरह संपत्तिकर भी 68 प्रतिशत तक वसूली करनी है। नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा भले ही इस ओर दवाब बनाये जाते रहे हों किंतु संबंधित कर्मचारियों, अधिकारियों ने वसूली को किनारे रखकर ही साल गुजार दिया है।
लंबे अर्से से जमे हैं वसूली अधिकारी
नगरपालिका में सीएमओ के आने और जाने का क्रम जारी है परंतु वसूली अधिकारी लंबे अर्से से अंगद की तरह पैर जमाये हुये हैं। वसूली अधिकारी द्वारा इतने कम प्रतिशत में वसूली किये जाने के वावजूद भी कुर्सी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। पता नहीं इस संबंध में कभी समीक्षा भी की जाती है और निर्देश भी दिये जाते हैं पर आंकड़ों से तो यही कहा जा सकता है कि कर वसूली को लेकर पूरी तरह से ढिलाई बरती जा रही है। जानकारों की मानें तो चुनावी वर्ष होने के कारण नगरपालिका कर वसूली में जानबूझकर लापरवाही कर रही है।
कम वसूली से पिछड़ा विकास
शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिये नगरपालिका द्वारा जुमलेबाजी खूब की जा रही है लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। राजस्व की कमी से जहां नगरपालिका अपने सफाईकर्मियों तक को वेतन नहीं दे पा रही है जिसके कारण आये दिन सफाईकर्मी हड़ताल करने पर मजबूर हो जाते हैं तो विकास की बात करना बेमानी लगती है। शहर में गंदगी का आलम है जल सुविधा से लेकर अन्य सुविधाओं की मारामारी बनी रहती है। इसके वावजूद भी नगरपालिका परिषद के जिम्मेदार स्वच्छ सुंदर एवं सर्व सुविधायुक्त नगर बनाने का डींग हांकने से नहीं चूकते।