आत्मा का चिकित्सालय है मंदिर, मूर्ति को देख अपने राग-द्वेष समाप्त कर सकते हैं : योगसागर

आत्मा का चिकित्सालय है मंदिर, मूर्ति को देख अपने राग-द्वेष समाप्त कर सकते हैं : योगसागर

Anita Peddulwar
Update: 2020-01-18 08:06 GMT
आत्मा का चिकित्सालय है मंदिर, मूर्ति को देख अपने राग-द्वेष समाप्त कर सकते हैं : योगसागर

डिजिटल डेस्क,  नागपुर । परवारपुरा जैन मंदिर, इतवारी में विराजमान आचार्य विद्यासागर  महाराज  के परमशिष्य निर्यापक मुनि योगसागर महाराज ने  अपने प्रवचनों में मंदिर  का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि मंदिर आत्मा का चिकित्सालय  होता है। भगवान की मूर्ति का महत्व ठीक वैसा ही है। मूर्ति को देखकर आत्मा को पहचाना जाता है।  जैसे दर्पण  में चेहरे के दाग व धब्बे देखे जाते हैं। उसी प्रकार मूर्ति के माध्यम से हम अपने राग, द्वेष  आदि परिणामों को देख व समाप्त कर सकते हैं। भगवान के रूप को देखना चाहिए। उनके दर्शन से अपने कर्मों की निर्जरा होती है। इसलिए तीनों लोक में भगवान को नमन किया जाता है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म किसी जाति विशेष का नहीं है। जिन्होंने अपनी पांचो इंद्रियों को जीत लिया है, वही जिनेन्द्र हैं। जिन्होंने इंद्रियों को  जाना है वही जैन है। अरहंत  पद प्राप्त करने के लिए जिनालय मंदिर में प्रतिमा  विराजमान करना चाहिए। मंच पर निर्यापक मुनिश्री योगसागर के संघास्थ साधु निरूलीमसागर, शाश्वतसागर, अतुलसागर, पूज्यसागश्विराजमान थे। 

प्रवचन के पूर्व   अभिषेक व शांतिधारा का सौभाग्य संजय माणिक व राजू  रजनी को मिला। दीप प्रज्वलन पाषाण मंदिर  नवनिर्माण  समिति व दि.जैन परवार मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने किया। शास्त्र भेंट करने का  सौभाग्य सुरेशचंद बड़कुर परिवार को मिला। मंगला चरण एवं आचार्य श्री की पूजा अखिल भारतीय दि. जैन महिला परिषद अध्यक्ष अनामिका    मोदी ने की। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से गोकुलचंद बड़कुर, कमलकांत गोंदवाले, संतोष बैसाखिया, प्रशांत जैन, सनत जैन,  विनीत जैन, अनिल जैन, अरविन्द जैन, टोनी सतभैया, जय बड़कूर, प्रमोद ढोला, एड. मनोज जैन, एड. संतोष जैन, दीपक जैन, ऋषि जैन, लड्डू जैन, विजय गब्बर,राजू जैन, पप्पू जैन, जय मामू, पवन जैन, प्रीति जैन, रीता जैन, सपना जैन, सारिका जैन, अर्चना जैन, श्रद्धा जैन, शिखा जैन, राखी जैन, कंचन जैन उपस्थित थे। ट्रस्ट कमेटी के दिनेश जैन, शीतल एमपीएसटी, सोल्ड़ी जैन, विशाल जैन, संतोष देवडिया, सुमत लल्ला जैन ने प्रवचन में समय पर उपस्थित रहकर धर्मलाभ लेने  की अपील की है।  सुमत लल्ला जैन ने बताया कि प्रतिदिन अभिषेक 8:30 से, आचार्यश्री का पूजन 9:00 से, मुनिश्री के प्रवचन 9:15 से, आहारचर्या 10:00 बजे तथा शाम 5:30 बजे से आचार्य भक्ति  होगी। 

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