ऋतुओं पर आधारित रागों ने मन मोहा, 3 दिवसीय कालिदास महोत्सव का आगाज

ऋतुओं पर आधारित रागों ने मन मोहा, 3 दिवसीय कालिदास महोत्सव का आगाज

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-18 12:31 GMT
ऋतुओं पर आधारित रागों ने मन मोहा, 3 दिवसीय कालिदास महोत्सव का आगाज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ऋतुओं पर आधारित रागों ने श्रोताओं को संगीत रस में सराबोर कर दिया। मौका था कालिदास समारोह-2017 का। यह आयोजन 19 नवंबर तक सुरेश भट सभागृह, रेशमबाग में किया जा रहा है। इस अवसर पर शास्त्रीय गायन में सुर, लय, ताल और भाव का खूबसूरत संगम ने लोगों का दिल जीत लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, विधायक सुधाकर कोहले, विभागीय आयुक्त अनूप कुमार, वरिष्ठ कलाकार महेश एलकुंचवार, सांसद अजय संचेती, महापौर नंदा जिचकार, जिलाधिकारी सचिन कुर्वे, मनपा आयुक्त अश्विन मुदगल, सत्ता पक्ष नेता संदीप जोशी आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। तत्पश्चात प्रख्यात शास्त्रीय गायिका पद्मविभूषण गिरिजा देवी व प्रख्यात गायिका किशोरी अमोनकर को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई।  

पहले दिन ऋतुओं पर आधारित रागों की प्रस्तुति
यह महोत्सव कवि कालिदास के काव्य ‘ऋतुसंहार’ पर आधारित है। समारोह में ऋतुओं पर आधारित राग, शास्त्रीय गायन व वादन की प्रस्तुति हुई। मेडले ऑफ सिक्स सीजन सप्तक ग्रुप की विशेष प्रस्तुति रही। शिरीष भालेराव (वायलिन), अरविंद उपाध्ये (बांसुरी), अरविंद शेवालीकर (सितार), अनिरुद्ध देशपांडे, सयाली आचार्य और रेणुका इंदुरकर (शास्त्रीय गायन) ने प्रस्तुती दी। कार्यक्रम में 6 ऋतुओं को पिरोया गया है। शुरुआत हुई वसंत ऋतु से। राग बहार सुन कर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। वैशाख में राग मारवा मोरा पिया, ना जिया ना लागे, कासे कहूं, जबसे पिया गए परदेस अनिरुध देशपांडे ने प्रस्तुत किया। अरविंद उपाध्ये की बांसुरी की धुन का श्रोताओं ने जमकर आनंद लिया। सितार वादन और वोकल की अनूठी जुगलबंदी देखने मिली। वर्षा ऋतु का वर्णन भी खूब रहा। संतूर, वायलिन, बांसुरी, सितार, हारमोनियम और तबले की जुगंलबंदी भी लोगों को खूब भाई। कोलकाता के देवप्रिया अधिकारी और समन्वय सरकार पुरवई की हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और तबला वादन, सितार की जुगलबंदी देखने को मिली।

कवि कुलगुरु कालिदास विदर्भ के वैभव  : फडनवीस
 इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने ऑडियो-विजुअल के जरिए संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कवि कुलगुरु कालिदास विदर्भ के वैभव हैं। कालिदास महोत्सव से संस्कृति गौरवमय हाे रही है। पालक मंत्री ने कहा कि कवि कुलगुर कालिदास सांस्कृतिक धरोहर हैं। नागपुर की भूमि रामटेक में उन्होंने जन्म लिया। यह संपूर्ण विदर्भ के लिए गौरव की बात है। इस अवसर पर स्मरणिका का विमोचन सासंद अजय संचेती, विभागीय आयुक्त अनूप कुमार, मनपा आयुक्त अश्विन मुदगल, व्यस्थापकीय संचालक महाराष्ट्र पर्यटन विकास मंडल विजय बाघमारे ने किया। इसके बाद प्रतिभा नृत्य मंदिर स्कूल की छात्राओं ने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।

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