बिना स्पीडगन के अंधाधुंध वाहनों पर अंकुश लगाने की कवायद कर रहा हाईटेक ट्रैफिक विभाग

बिना स्पीडगन के अंधाधुंध वाहनों पर अंकुश लगाने की कवायद कर रहा हाईटेक ट्रैफिक विभाग

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-04 06:55 GMT
बिना स्पीडगन के अंधाधुंध वाहनों पर अंकुश लगाने की कवायद कर रहा हाईटेक ट्रैफिक विभाग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में बेखौफ अंधाधुंध दौड़ते वाहनों पर अंकुश लगाने ट्रैफिक विभाग के प्रयास सफल होते दिख नहीं रहे हैं। अंधाधुंध वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए लाखों रुपए खर्च कर 6 "स्पीडगन" मशीन खरीदे गए थे। अब इन मशीनों की रफ्तार रुक चुकी है। दो मशीनें बेकार हो चुकी हैं और 4 बंद पड़ी हैं। सीताबर्डी, इंदोरा, एमआईडीसी, अजनी और सोनेगांव में स्पीडगन हैं, लेकिन बेकाम। सदर की भी स्पीडगन खराब हो गई है। इसे दुरुस्त करने के लिए पुणे से इंजीनियर को बुलाने की नौबत आन पड़ती है। 

नहीं दी गई पूरी ट्रेनिंग
इन मशीनों के बंद पड़े होने का कारण यह बताया जाता है कि इन्हें चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस विभाग ने कुछ कर्मचारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया था। उसके बाद प्रशिक्षण का सिलसिला भी रोक दिया गया। इधर, प्रशिक्षित ट्रैफिक पुलिस कर्मियों का तबादला हो गया। सूत्रों के अनुसार दो "स्पीडगन" आधुनिक हैं। इसमें ‘ऑन द स्पॉट’ चालान बनता है। इस आधुनिक स्पीडगन मशीन में गति (वाहन की तय स्पीड) को सेट कर देने पर उसके सामने से गुजरने वाले वाहनों को वह सेंसर के माध्यम से कैप्चर कर लेता है। उसके बाद उस वाहन नंबर के साथ उसका चालान बाकायदा कागज की रसीद पर प्रिंट के साथ बाहर निकालता है।  

प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं 
सूत्रों के अनुसार, अब इन मशीनों को चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस विभाग के पास प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं हैं, इसलिए स्पीडगन की इन मशीनों को जंग लगने लगा है। इन मशीनों से काम लेने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है। ट्रैफिक विभाग प्रशिक्षण देने का सिलसिला जारी रखता तो यह नौबत नहीं आती। शहर में 15 लाख वाहन हैं, जिसमें करीब हर रोज नागपुर की सड़कों पर 12 लाख से अधिक वाहन चलते हैं।  

प्रतिदिन नियमों का उल्लंघन
यातायात के नियमों का पालन सफर को सुखद बनाने के साथ हादसों से सुरक्षित भी रखता है। मगर वाहन चालकों के लिए यातायात नियम कोई मायने नहीं रखते, यहां हर कोई अपने हिसाब से वाहन चलाता है, न सुरक्षा की परवाह न नियमों का पालन, और तो और कार्रवाई का खौफ भी नहीं। ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई के आंकड़े भी यह कड़वा सच बयां कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार ट्रैफिक उल्लघंन के आंकड़ों पर गौर करें तो नागपुर में हर रोज 250 वाहन चालक यातायात नियम तोड़ते हैं।

ये तो केवल वो लोग हैं, जिन पर पुलिस की नजर पड़ जाती है, असल स्थिति इससे भी बदतर है। पुलिस द्वारा यातायात नियमों के पालन के लिए समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाने और उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई के बावजूद वाहन चालक सुधरने को तैयार नहीं। शराब पीकर और ओवर स्पीड में वाहन चलाकर वे अपने साथ-साथ दूसरों की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। इसके अलावा नो पार्किंग जोन में वाहन खड़ा करना, ओवर लोड वाहन चलाने की आदत से भी वाहन चालक बाज नहीं आ रहे हैं। 

सूत्रों के अनुसार, ट्रैफिक पुलिस विभाग के तत्कालीन पुलिस उपायुक्त भरत तांगडे व रवींद्र परदेसी ने इस विभाग में नोडल अधिकारी नियुक्त कर रखे थे, जो यातायात पुलिस विभाग की कार्रवाई पर नजर रखते थे। इतना ही नहीं यह अधिकारी ट्रैफिक समस्याआें को दूर करने के लिए भी निगरानी रखते थे। इससे शहर में यातायात की समस्या पर नियंत्रण पा लिया जाता था। यह नोडल अधिकारी मुखिया की भूमिका में होता था। 

हर समस्या  दूर करेंगे
ट्रैफिक की हर समस्या को दूर किया जाएगा। इसके लिए समय- समय पर संबंधित ट्रैफिक जोन के अधिकारियों के साथ बैठक ली जा रही है। शहर में अभी कई विकास कार्य शुरू किए गए हैं। नागरिकों को ट्रैफिक समस्या का सामना न करना पड़े, फिलहाल इस ओर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।   -गजानन राजमाने, उपायुक्त यातायात पुलिस विभाग नागपुर

 

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