रेलवे : लोको पायलट हो रहे लू का शिकार, इसलिए निकाल दी AC

रेलवे : लोको पायलट हो रहे लू का शिकार, इसलिए निकाल दी AC

Anita Peddulwar
Update: 2018-06-05 08:28 GMT
रेलवे : लोको पायलट हो रहे लू का शिकार, इसलिए निकाल दी AC

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हम जिस रेलगाड़ी में लंबी दूरी का सफर करते हैं, उसकी बारीकियों को कम ही जानते हैं। हाल ही में रेल इंजन में आग लगने की घटना हुई तो चौंकना स्वाभाविक था। इसकी पड़ताल की तो जो खुलासा हुआ, वह और चौंकाने वाला रहा, क्योंकि जिस इंजन में AC (वातानुकूलित) की ठंडी हवा पायलट को मिलती थी, उसे इसलिए निकाल दिया गया कि इस ठंडी में पायलट को नींद के झोंके आ सकते हैं।

नहीं दिया जाता कोई ध्यान
भारतीय रेलवे का अगुआ दस्ता लोको पायलट और सहायक लोको पायलट जिन पर सुरक्षित रेल संचालन की जिम्मेदारी होती है और जिनकी एक छोटी सी गलती ट्रेन में सफर करने वाले हजारों रेल यात्रियों की जिंदगी को खतरे में डाल सकती है, उनकी रेल विभाग को जरा भी परवाह नहीं। रेल चालक दल इस भीषण गर्मी की मार झेल कर रेलवे का पहिया चलाने को मजबूर हैं, जबकि रेल के छोटे से लेकर उच्च पदाधिकारी भी अपने कार्यालय कक्ष में इस मौसम में बगैर एसी, कूलर या पंखे के बैठ नहीं पाते। वहीं, यह रेल इंजन चालक 12 से लेकर 14 घंटे तक बगैर एसी, कूलर और पंखे के दिन-रात अपना पसीना बहाते हुए रेल चला रहे हैं।

आश्चर्यजनक रूप से रेल मंत्रालय द्वारा गठित हाई पावर त्रिपाठी कमेटी ने अपनी सिफारिशों में अगस्त-2013 के पेज संख्या-53 पर यह स्वीकारा है कि रेलवे का चालक दल लोकोमोटिव में सुविधा की कमी की वजह से गर्मी और ठंड के मौसम में काफी कष्ट झेल कर ड्यूटी करना पड़ता है। गर्मी के दिनों में लोको कैब के भीतर का तापमान 60 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है और ठंड के मौसम में खिड़की दरवाजे के सुराग से आने वाली हवा के कारण 4 से 5 डिग्री तक हो जाती है।

लगातार बैठना पड़ता है
विशेषज्ञों की मानें तो लोको (इंजन) कैब की खराब स्थिति और 80 डेसीबल तक सीटी की आवाज में ड्यूटी करने के दौरान लोको पायलट कर्मचारी बगैर मल-मूत्र का त्याग किए 25 केवी के उच्च मैग्नेटिक फिल्ड में लगातार 10/12 घंटे कार्य करने पर चालक दल उच्च रक्तचाप, हाईपरटेंशन, आंत और पेट की बीमारी, पथरी और प्रोस्टेट तथा दिल की बीमारी होने की आशंका ज्यादा होती है।

150 इंजन में से 11 में ही एसी 
रेलगाड़ियों के इंजन में AC नहीं रहने का खामियाजा इन दिनों लोको पायलट को भुगतना पड़ रहा है। गत 2 माह में 150 से ज्यादा लोको पायलट लू का शिकार हो चुके हैं। मध्य रेलवे नागपुर मंडल की बात करें तो कुल 150 इंजन में से 11 में ही AC है।

इसलिए निकाला AC
विदेश से आए AC रेल इंजन में कभी ठंडी हवा चलती थी, लेकिन अब इसमें गर्म थपेड़े चलते हैं। कुछ वर्ष पहले AC इंजनों को नॉन AC में तब्दील किया गया था। तर्क यह दिया गया था कि AC की ठंडी हवा इंजन में रहने से लोको पायलट को नींद आ सकती है।

पायलट प्रतिदिन बीमार पड़ रहे हैं
केवल एक या 2 प्रतिशत इंजन में ही AC है। ऐसे में लोको पायलट प्रति दिन बीमार पड़ रहे हैं। कईयों को तो एडमिट कराने की स्थिति आ जाती है। बाहर के तापमान की तुलना में इंजन के भीतर का तापमान 5 डिग्री तक बढ़ जाता है। 
वीरेन्द्र सिंह, डिवीजनल चेयरमैन, सेट्रल रेलवे मजदूर संघ

AC इंस्टॉल करने का काम शुरू

हमारे विभाग में कुल 150 इंजन है, जिसमें से 11 में AC लगे हैं। मेंटेनेंस के लिए आ रहे लोको में AC इंस्टॉल करने का काम शुरू है।
एस.जी. राव, साहायक वाणिज्य प्रबंधक,  मध्य रेलवे नागपुर मंडल

Similar News