सीएम बनने उद्धव ने बालासाहब की विचारधारा से की बेईमानी - राणे

सीएम बनने उद्धव ने बालासाहब की विचारधारा से की बेईमानी - राणे

Tejinder Singh
Update: 2019-12-20 13:58 GMT
सीएम बनने उद्धव ने बालासाहब की विचारधारा से की बेईमानी - राणे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मुख्यमंत्री बनन के लिए उद्धव ठाकरे ने शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा से बेईमानी की है। अगर आज बाला साहेब होते तो उद्धव कभी सीएम नहीं बन पाते। 20 दिसंबर शुक्रवार को प्रेस क्लब हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा के राज्यसभा सांसद नारायण राणे ने महाविकास आघाड़ी सरकार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि जनता ने युति को बहुमत दिया पर महाविकास आघाड़ी की सरकार सत्ता में आई। सत्ता में आने के लिए शिवसेना समेत तीनों दलों ने अपनी विचारधारा की बलि चढ़ा दी। बाला साहेब ने हमेशा हिंदुत्व की विचारधारा को सत्ता से अधिक महत्व दिया था। उन्होंने सीधे-सीधे उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा-मुझे उद्धव की क्षमता पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे बताए कि क्या वे अब भी हिंदुत्व की विचारधारा के पक्षधर हैं और हैं तो यह बात जाकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बतानी चाहिए।
 
वादे निभाने राज्य को चाहिए 78 हजार करोड़ रुपए

राणे ने कहा कि प्रचार के दौरान उद्धव ने राज्य के किसानों का कर्ज मुक्त करने और प्रत्येक िकसान को 25 हजार रुपए देने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य के किसानों को कर्जमुक्त करने के लिए उनके सात बारह को फिर से कोरा करना है तो इसके लिए 55 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। इसी तरह हर किसान को 25 हजार रुपए देने के लिए 23 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। दोनों मिलाकर कुल 78 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। साफ है राज्य पर यह खर्च बड़ी जिम्मेदारी साबित हो सकती है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने इस विषय पर बात करने के लिए अब तक वित्त सचिवों की बैठक नहीं बुलाई है।

विकास कार्य रोकने पर उठाया सवाल

राणे ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने मेट्रो समेत कई विकास कार्यों को स्थगित कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय योजनाओं पर काम कर रहे ठेकेदारों से चर्चा करने और आगे की कुछ बाते तय करने के लिए सोच समझकर लिया गया है।

परंपराओं का नहीं किया पालन

पूर्व मुख्यमंत्री ने सीएम उद्धव ठाकरे पर राज्य की परंपराओं का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आगवानी नहीं करना राज्य और देश की परंपराओं का उल्लघंन है। 

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