पवन तथा सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली मिली सस्ती, प्रति यूनिट एक से डेढ़ रुपए तक कमी संभव
पवन तथा सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली मिली सस्ती, प्रति यूनिट एक से डेढ़ रुपए तक कमी संभव
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अतुल मोदी। महावितरण को इस साल की सबसे कम दरों में पवन तथा सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली मिल गई है। महावितरण इसी तरह और अपारंपरिक ऊर्जा लाने के प्रयत्नों में जुटी है। यदि इसमें सफलता मिली, तो भविष्य में महावितरण महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग से विद्युत दर बढ़ाने की जगह घटाने की सिफारिश कर सकता है। ऐसा नहीं है कि देश में बिजली दरें घटाने के लिए आयोग से सिफारिश न की गई हो। हाल ही में मुंबई में विद्युत आपूर्ति करने वाली बेस्ट व टाटा पॉवर ने भी ऐसी पेशकश की थी।
इस योजना के तहत चल रहा काम
महावितरण को सौर ऊर्जा से 1000 मेगावॉट बिजली 2 रुपए 71 पैसे व 2 रुपए 72 पैसे की दर से मिली है, जबकि पवन ऊर्जा से 2 रुपए 86 पैसे की दर से 520 मेगावॉट बिजली लेने में सफल हुआ है। इसके अलावा महावितरण अपने लोड सेंटरों पर भी 1000 मेगावॉट बिजली सौर ऊर्जा से बनाने जा रही है। दरअसल, राज्य सरकार ने 14400 मेगावॉट बिजली सौर ऊर्जा से बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसमें से 2500 मेगावॉट की बिजली परियोजनाएं वर्ष 2022 तक लगाने का लक्ष्य महाजैनको को दिया गया है। यह बिजली भी देर-सबेर महावितरण को ही मिलेगी। इसकी लागत भी जाहिर है कम ही होगी।
इसके अलावा महाजैनको के चंद्रपुर, साखरी व बारामती में 180 मेगावाट अपारंपरिक ऊर्जा का उत्पादन कर रही है। यह बिजली महावितरण के खाते में ही जाती है। महावितरण ने कृषि पंपों को बिजली देने के लिए मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी के अंतर्गत राज्य के 20 जिलों की 218 तहसीलों में 2 से 10 मेगावॉट की परियोजनाएं भी लगा रहा है। इससे कृषि कार्य के लिए दी जानेवाली बिजली का क्रास सब्सिडी के रूप में पड़ रहा आमजन पर भार घटेगा। साथ ही विद्युत और व्यावसायिक हानि भी घटेगी।
इससे महावितरण का घाटा कम होगा। घाटा घटेगा, तो उसका सीधा फायदा आम उपभोक्ताओं को मिलेगा। वर्तमान में महावितरण के अनुसार ब्याज सहित करीब 21 हजार करोड़ रुपए कृषि पंप कनेक्शनों में डूबत पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि महावितरण पारंपरिक ऊर्जा से उत्पन्न बिजली करीब 4 रुपए 01 पैसे की औसत दर से खरीदती है। इसके चलते उसकी वितरण लागत करीब 6 रुपए 86 पैसे तक पहुंच जाती है।
महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने महावितरण के बहुवर्षीय विद्युत दरों के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। ऐसे में अभी विद्युत दरों में सीधे कमी संभव नहीं है। हालांकि परोक्ष रूप से महावितरण ने पिछले वर्ष भी उपभोक्ताओं को राहत दी थी। पिछले आर्थिक वर्ष में महावितरण का 12 में से 8 माह में इंधन अधिभार शुल्क ऋणात्मक रहा था। इसके चलते महावितरण ने 1300 करोड़ रुपए विद्युत उपभोक्ताओं को वापस किए थे। सूत्रों के अनुसार, बहुवर्षीय विद्युत दर प्रस्ताव मंजूर होने से सीधे विद्युत दरों का घटना संभव नहीं है। इसलिए यदि कम दर में बिजली मिलती है, तो ईंधन अधिभार शुल्क जैसी मदों के रूप में अपरोक्ष रूप से विद्युत उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है।
सूत्रों के अनुसार, पिछले वर्ष इंधन समायोजन शुल्क के ऋणात्मक रहने तथा सबसे कम दर पर अपारंपरिक ऊर्जा को खरीदने का करार करने के साथ-साथ वर्तमान में सफल ऊर्जा प्रबंधन का पूरा श्रेय महावितरण के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार को जाता है। बिजली की किल्लत के समय भी उनके कुशल निर्देशन में महावितरण ने कम से कम दरों में बिजली का इंतजाम किया है और प्रदेश पर लोडशेडिंग के मंडराते खतरे को टाला है।