धार्मिक अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहे अधिकारियों का एक रुपए प्रतिदिन कटेगा वेतन

धार्मिक अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहे अधिकारियों का एक रुपए प्रतिदिन कटेगा वेतन

Tejinder Singh
Update: 2018-07-05 13:52 GMT
धार्मिक अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहे अधिकारियों का एक रुपए प्रतिदिन कटेगा वेतन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सुप्रीम कोर्ट के अादेश के बावजूद प्रदेश सरकार की धार्मिक अतिक्रमण हटाने में नाकामी को गंभीर प्रशासनिक लापरवाही बताकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अनोखा आदेश जारी किया। गुरुवार को हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, नगर विकास विभाग सचिव, गृह विभाग सचिव, प्रदेश राजस्व विभाग सचिव, नासुप्र सभापति और मनपा आयुक्त के वेतन से एक रुपए प्रतिदिन काटने का आदेश जारी किया है। कोर्ट के अगले आदेश तक यह कटौती जारी रहेगी। दरअसल पिछले 15 दिनों में कई बार हाईकोर्ट ने बार-बार नासुप्र, मनपा और प्रतिवादी सचिवों को उपराजधानी के धार्मिक अतिक्रमण हटाने पर ठोस एक्शन प्लान मांगा था। गुरुवार को जब वे हाईकोर्ट में एक्शन प्लान प्रस्तुत करने में एक बार फिर असमर्थ हुए, तो नाराज हाईकोर्ट ने आदेश जारी किया।

मनपा ने अक्टूबर और नासुप्र ने 145 दिन का वक्त मांगा

मनपा ने अपने अधिकार क्षेत्र के 1,500 अतिक्रमण हटाने के लिए हाईकोर्ट से अक्टूबर तक का समय मांगा है। वहीं नासुप्र ने अपने अधिकार क्षेत्र के 250 अतिक्रमण हटाने के लिए हाईकोर्ट से कुल 145 दिन का वक्त मांगा है। एक सप्ताह में एक्शन प्लान पेश करने का आदेश हाईकोर्ट प्रशासन इस रवैए से संतुष्ट नहीं हुआ। मनोहर खोरगडे ने वर्ष 2006 में सड़क पर होने वाले धार्मिक अतिक्रमण पर केंद्रित याचिका दायर की थी। तब से न्यायालय शहर में समय-समय पर नागरिकों को होने वाली असुविधाओं पर संज्ञान लेता आ रहा है।

समय-समय पर जारी हुए आदेश

अब तक इस मामले में समय-समय पर आदेश जारी हुए। सड़क पर त्योहार मनाने, पंडाल डालने पर प्रतिबंध लगाया, मनपा को इसकी अनुमति न देकर आदेश का उलंघन करने वालों पर कार्रवाई करने को कहा था। सर्वोच्च न्यायालय ने दिसंबर 2016 में देशभर में फैले कई प्रकार के धार्मिक अतिक्रमण हटाने के आदेश सरकार को दिए थे, लेकिन यहां ऐसी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई, जिससे नाराज हाईकोर्ट ने मनपा और नासुप्र को कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बाद दोनों संस्थाएं नींद से जागीं और जगह-जगह अतिक्रमण विरुद्ध कार्रवाई शुरू की, मगर हाईकोर्ट के आदेशानुसार कोर्ट में अतिक्रमण की समस्या से निपटने के लिए दोनों संस्थाएं ठोस एक्शन प्लान प्रस्तुत करने में असमर्थ रहीं।

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