विक्टोरिया की मरचुरी के फ्रीजर में थी सड़ी-गली लाश, कायाकल्प अवार्डी अस्पताल में घोर लापरवाही

विक्टोरिया की मरचुरी के फ्रीजर में थी सड़ी-गली लाश, कायाकल्प अवार्डी अस्पताल में घोर लापरवाही

Bhaskar Hindi
Update: 2019-08-23 08:18 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। कायाकल्प अवार्ड में प्रदेश के श्रेष्ठ जिला अस्पताल का तमगा पाने वाले विक्टोरिया में अव्यवस्थाओं का यह आलम है कि यहां की मरचुरी के फ्रीजर में हफ्तों पुराना सड़ा-गला शव था लेकिन प्रबंधन में किसी को इसकी जानकारी नहीं थी। गुरूवार को सुबह मरचुरी से अत्याधिक बदबू आने पर जब फ्रीजर खोला गया तब इस शव की जानकारी लगी। शव पूरी तरह गल चुका था, हड्डियां बाहर आ गईं थी। हैरत की बात यह है कि जिला अस्पताल की मरचुरी में मिले इस शव का कोई रिकार्ड अस्पताल में नहीं है। मरने वाला कौन था, उसका इलाज चल रहा था या नहीं इस संबंध में कोई रिकार्ड नहीं होने पर पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद अज्ञात के तौर पर उसका अंितम संस्कार कराया। प्रभारी सिविल सर्जन ने इस मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है।

ऐसे हुआ खुलासा

फ्रीजर में शव होने का आभास बुधवार की शाम को उस समय हुआ जब एक शव वहां रखा जा रहा था। मरचुरी में तेज दुर्गंध और फ्रीजर से कीड़े निकलते देख वहां मौजूद गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली ने कुछ गड़बड़ होने की आशंका जाहिर की। इसकी सूचना उसने प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. डीपी गुर्जर, आरएमओ डॉ. संजय जैन को दी। इस सूचना के आधार पर आरएमओ ने रात में ही ओमती थाने में यह जानकारी देकर तथा टीआई से रायशुमारी की।
 

अधिकारियों के होश उड़े

सुबह जब फ्रीजर खोला गया तो तेज दुर्गंध से अस्पताल के कर्मचारी शव निकालने तैयार नहीं हुए। एक कर्मचारी तो मौके पर ही उल्टियां करने लगा। बाद में इनायत अली को बुलाया गया जिसने अपने साथियों की मदद से शव को बाहर निकाला तथा पुलिस कार्यवाही के बाद पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल पहुंचाया। यह शव करीब 60 साल के व्यक्ति का है, काफी समय हो जाने के कारण चेहरा भी विकृत हो चुका था जिससे पहचान संभव नहीं हो सकी।

बंद मरचुरी में कैसे पहुंचा शव

आरएमओ डॉ. जैन ने बताया कि विक्टोरिया की मरचुरी में हमेशा ताला लगा रहता है जिसकी चाबी और रजिस्टर कैजुअल्टी में ड्यूटी कम्पाउंडर के पास रहती है। कोई शव रखे जाने के दौरान पहले उसकी जानकारी रजिस्टर में दर्ज की जाती है लेकिन इस शव के बारे में कोई सूचना नहीं लिखी गई, जोकि हैरत की बात है। अस्पताल के प्रशासनिक मुखिया सिविल सर्जन होते हैं फिलहाल सिविल सर्जन डॉॅ. आरके चौधरी भोपाल प्रशिक्षण पर गए हैं, उनकी जगह प्रभारी तौर पर डॉ. डीपी गुर्जर काम देख रहे हैं। इस घटना पर डॉ. गुर्जर ने जांच के लिए एक समिति बनाई है जिसमें डॉ. रत्नेश कुररिया, डॉ. पंकज बुधौलिया, डॉ. अमिता जैन तथा मैट्रन को रखा गया है। दूसरी ओर पुलिस इस मामले की जांच कर शव की शिनाक्त का प्रयास कर रही है।

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