चुनाव में विदर्भ के सवाल को नजरअंदाज करना पड़ा भारी

चुनाव में विदर्भ के सवाल को नजरअंदाज करना पड़ा भारी

Tejinder Singh
Update: 2019-10-26 12:07 GMT
चुनाव में विदर्भ के सवाल को नजरअंदाज करना पड़ा भारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनाव से पहले पृथक विदर्भ राज्य के लिए प्रखर थी। जिस पर विदर्भ की जनता ने पिछली बार भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिया था। स्पष्ट बहुमत मिलने पर पृथक विदर्भ राज्य का आश्वासन भाजपा ने दिया था। इस आश्वासन पर जनता ने साथ देते हुए विदर्भ से 44 विधायकों को चुनकर दिया और भाजपा राज्य में सत्ता बनाने में सफल रही। राज्य के 123 में से 44 विधायकों को विदर्भ ने चुनकर दिया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने विदर्भ की जनता को धोखा दिया। पृथक विदर्भ राज्य बनाना तो दूर विदर्भ के सवाल को भी नजरअंदाज किया, जो इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी पड़ गया। विदर्भ के साथ ही किसानों, बेरोजगारी व आर्थिक मंदी के सवाल पर भी भाजपा ने ध्यान नहीं देने का आरोप विदर्भ राज्य आंदोलन समिति के राम नेवले ने लगाया।

विदर्भ राज्य आंदोलन समिति की ओर से विधानसभा चुनाव से पहले विदर्भ राज्य की मांग पूरा करने की याद दिलाई गई थी, लेकिन भाजपा सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। पृथक विदर्भ राज्य के लिए जनता में जागरूकता की गई। चुनाव में इसका लाभ विदर्भवादियों को नहीं हुआ, लेकिन भाजपा की विदर्भ से 15 सीट कम करने में विदर्भवादी सफल रहे। इससे भाजपा को सबक लेना चाहिए। समिति दोबारा स्वतंत्र विदर्भ राज्य की मांग के िलए आंदोलन की भूमिका बनाने की जानकारी भी दी गई।

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