जलसंकट से निपटने नहीं उठाए ठोस कदम, जिला पंचायत की सभा में समस्या को किया नजर अंदाज

जलसंकट से निपटने नहीं उठाए ठोस कदम, जिला पंचायत की सभा में समस्या को किया नजर अंदाज

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-07 10:09 GMT
जलसंकट से निपटने नहीं उठाए ठोस कदम, जिला पंचायत की सभा में समस्या को किया नजर अंदाज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में भीषण जलसंकट की स्थिति बनी हुई है। निर्वाचन आयोग ने भी आचार संहिता शिथिल कर जलसंकट निवारण उपाययोजना पर अमल करने की छूट दी है, लेकिन जिला परिषद की आमसभा में जलसंकट पर गहन चर्चा करने की बजाए इसे नजरअंदाज कर दिया। सदस्यों ने सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास किया, परंतु विपक्ष का साथ नहीं मिला। नेता प्रतिपक्ष मनोहर कुंभारे ने सभा की शुरुआत में ही जलसंकट निवारण उपाययोजना पर अमल करने में जिप के नाकाम रहने का आरोप लगाया। इसके बाद सदस्यों के सवाल पर अधिकारी गोलमोल जवाब देकर चलते बने। जलसंकट को मात देने के लिए काेई ठोस कदम नहीं उठाए जाने से जिप की आमसभा में पानी पर चर्चा बेनतीजा रही।

यह है स्थिति 
जलसंकट निवारण उपाययोजना अंतर्गत 1224 गांवों में 2338 उपाययोजना प्रस्तावित की गई। इसमें कुओं का अधिग्रहण, जलापूर्ति योजना की दुरुस्ती, बोरवेल, ट्यूबवेल के कामों का समावेश है। 625 बाेरवेल मंजूर किए गए। प्रत्यक्ष 151 बोरवेल खोदने का काम पूरा हुआ, परंतु हैंडपंप लगने बाकी हैं। कुओं का अधिग्रहण 407 गांवों में प्रस्तावित है। प्रत्यक्ष 66 गांवों में 204 कुओं का अधिग्रहण हो पाया है। 324 नल योजना दुरुस्ती के करारनामे किए गए हैं। प्रत्यक्ष एक भी काम शुरू नहीं हुआ। 26 नल योजनाओं का करार भी अधर में लटका हुआ है। जलापूर्ति के लिए 100 टैंकर प्रस्तावित हैं। 31 गांवों में 38 टैंकर से जलापूर्ति शुरू की गई है। 

केवल 2 हैंडपंप बुझा रहे प्यास
ग्रामीण जलापूर्ति विभाग ने 151 बोरवेल लगाए जाने का दावा किया, लेकिन हैरत है कि केवल 2 बोरवेल लोगों की प्यास बुझा रहे हैं। हैंडपंप लगाने के लिए अलग से 3 एजेंसियां नियुक्त की गई हैं। एक एजेंसी दिन में 3 हैंडपंप लगा सकती है। यानी 625 बोरवेल पर हैंडपंप लगाने के लिए 3 महीने लगना तय है। यानी गर्मी के बाद ही पानी मिलने की उम्मीद है।

सदस्य ने फेंका माइक
जलसंकट पर जिप की आमसभा में गंभीरता से चर्चा नहीं किए जाने से संतप्त कांग्रेस की सदस्य बबिता साटोने ने माइक फेंक दिया। उन्होंने कहा कि मेरी आवाज ही काफी है। जनता की आवाज सभागृह में रखने के लिए मुझे माइक की आवश्यकता नहीं है। जनता पानी के लिए भटक रही है और पदाधिकारियों को इसकी कोई चिंता नहीं है। उनके क्षेत्र में बोरवेल खोदी गई, लेकिन उन्हें भनक तक नहीं लगने दी गई। इस बात को लेकर रोष व्यक्त करते हुए जनप्रतिनिधियों को नजरअंदाज किए जाने का प्रशासन पर आरोप लगाया।

अध्यक्ष ने नहीं किया नियोजन
नेता प्रतिपक्ष मनोहर कुंभारे ने अध्यक्ष पर जलसंकट से निपटने के लिए योग्य नियोजन नहीं करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा िक समय रहते नियोजन किया जाता, तो आज यह स्थिति नहीं होती। सदस्य मनोज तितरमारे ने कहा िक शहर के आसपास के क्षेत्रों में उपाययोजना कर अपनी पीठ थपथपाने का प्रयास किया जा रहा है। जिले के दूर-दराज के क्षेत्र में अभी तक एक भी उपाय नहीं िकया गया है। शांता कुमरे ने रामटेक तहसील का एक भी प्रस्ताव उपाययोजना में शामिल नहीं किए जाने से प्रशासन की लापरवाही पर नाराजगी व्यक्त की। 

शहर के आस-पास टैंकरों से जलापूर्ति
टैंकर से जलापूर्ति किए जा रहे गांव नागपुर शहर से सटे हैं। कलमेश्वर, काटोल, नरखेड़, कुही, उमरेड तहसील में सर्वाधिक जलसंकट है। उसे छोड़ अन्य बस्तियों में उपाययोजना करने की जिप प्रशासन की नीति पर सदस्यों ने प्रशासन को जमकर आड़े हाथ लिया। सदस्यों के आक्रामक तेवर पर ग्रामीण जालपूर्ति विभाग कार्यकारी अभियंता विजय टाकलीकर ने आगामी 10 िदन में सभी गांवों में उपाययाेजना करने का जवाब देकर सदस्यों का गुस्सा शांत किया। 

 

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