प बंगाल में होता है सबसे ज्यादा शिकार, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र 

प बंगाल में होता है सबसे ज्यादा शिकार, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र 

Tejinder Singh
Update: 2019-12-27 15:10 GMT
प बंगाल में होता है सबसे ज्यादा शिकार, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार ने इस बात से इंकार किया है कि देश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान वन्यजीव अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। उल्टे सरकार का दावा है कि अवैध शिकार रोकने की दिशा में किए गए ठोस प्रयासों के चलते पिछले तीन वर्ष के दौरान इस तरह की घटनाओं में लगातार कमी आई है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक देश में वर्ष 2016 में अवैध शिकार की कुल 412 घटनाएं सामने आई थी जो वर्ष 2017 में घटकर 395 हो गई। इसी प्रकार वर्ष 2018 में वन्यजीवों के अवैध शिकार की कुल 346 घटनाएं ही दर्ज हुई हैं। 

3 साल में अवैध शिकार की भेंट चढ़े 27 हाथी  

दरअसल अवैध शिकार की बढ़ती घटनाओं से चिंतित सरकार ने वन्यजीवों के संरक्षण और अनुरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत अवैध शिकार करने वालों पर भारी दंड का प्रावधान है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बताया कि सरकार की सख्ती के चलते अवैध शिकार की घटनाओं में कमी देखी जा रही है। उन्होने बताया कि पिछले तीन वर्ष के दौरान अवैध शिकार के चलते कुल 27 हाथियों की मौत हुई है। वर्ष 2016-17 में 13 हाथी अवैध रूप से मारे गए तो वर्ष 2017-18 और 2018-19 में क्रमश: 8 व 6 हाथियों का अवैध शिकार हुआ। इस दौरान महाराष्ट्र में हाथियों के अवैध शिकार की एक भी घटना सामने नहीं आई है। वर्ष 2018 के दौरान बाघों के अवैध शिकार के 21 मामलों की पुष्टि हुई है। 

3 साल में महाराष्ट्र में अवैध शिकार के 127 मामले

वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो के मुताबिक वर्ष 2018 में पूरे देश में कुल 346 वन्यजीवों के अवैध शिकार की घटनाएं पंजीकृत हुई हैं। वन्यजीवों के अवैध शिकार की सबसे ज्यादा घटनाएं पश्चिम बंगाल होती है। पिछले तीन वर्ष में यहां अवैध शिकार की कुल 180 घटनाएं हुई हैं। दूसरे पायदान पर महाराष्ट्र है जहां अवैध तरीके से शिकार किए जाने के कुल 127 मामले सामने आए हैं तो 123 मामलों के साथ असम तीसरे नंबर पर है। मध्यप्रदेश में इस तरह के कुल 85 मामले सामने आए हैं। पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016, 2017 व 2018 के दौरान अवैध शिकार के क्रमश: 66, 59 व 55 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार महाराष्ट्र में इन तीन वर्षां के दौरान वन्यजीवों के अवैध शिकार के क्रमश: 45, 39 व 43 मामले पंजीकृत हुए हैं। असम में यह आंकड़ा 40,41 व 42 का है।
 

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