जंगल में किसने लगाई आग ?... नाम बताओ, इनाम पाओ

जंगल में किसने लगाई आग ?... नाम बताओ, इनाम पाओ

Tejinder Singh
Update: 2020-03-05 16:35 GMT
जंगल में किसने लगाई आग ?... नाम बताओ, इनाम पाओ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गत कुछ वर्ष की बात करें तो लाखों हेक्टेयर जंगल खाक होने से वन विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। अब आग की घटनाओं से बचने के लिए विभाग नए-नए तरीके अपना रहा है। नई कड़ी प्रोत्साहन से संबंधित है और इसके अनुसार, जंगल में आग लगाने वालों के बारे में जानकारी देने पर वन विभाग द्वारा पुरस्कृत करने की योजना है। हालांकि अभी तक इसकी राशि तय नहीं हुई है। मेलघाट की तर्ज पर नागपुर वन विभाग के अंतर्गत भी आग लगाने वालों पर कार्रवाई व इसकी जानकारी देनेवालों को इनाम दिया जाएगा।

बढ़ रहीं हैं गतिविधियां

जंगल क्षेत्र में आग की घटनाएं हर साल बढ़ते जा रही है। मुख्य कारण मानवी गतिविधियां भी हैं। नागपुर वन विभाग की बात करें तो इसके अंतर्गत दक्षिण उमरेड, उत्तर उमरेड, नरखेड़, कोंढाडी, काटोल, हिंगना, देवलापार, पारशिवनी, रामटेक, पवनी, कलमेश्वर, सेमिनरी हिल्स, बुटीबोरी, खापा आदि इलाके आते हैं। इनके आस-पास गांव बसें हैं।

प्रतिबंधित क्षेत्र में भी प्रवेश

नियमानुसार गांववासियों का जंगली क्षेत्र में आना मना है, बावजूद इसके कुछ लोग लकड़ी से लेकर तेंदुपत्ता आदि के लिए जंगल क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं और इसी क्रम वे कुछ शरारती जंगल में आग लगने का कारण बनते हैं। इससे एक ओर वन्यजीवों को परेशानी होती है, तो दूसरी ओर जंगल नष्ट होता है। घटना का तुरंत पता चलने के लिए वन विभाग फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया पर निर्भर रहता है। नासा व इसरो की सैटेलाइट की मदद से वन विभाग को जंगल में लगी आग की जानकारी मिलती है।

सामने नहीं आ पाते आरोपी

वन विभाग भारी मशक्कत के बाद भले ही आग पर नियंत्रण पा लेता है, लेकिन इस तरह की लापरवाही करनेवालों पर आज तक कार्रवाई नहीं हो पाई है। मुख्य कारण यह है कि इनका पता ही नहीं चल पाता है। राज्य में मेलघाट वन प्रशासन ने ऐसी घटनाओं के जिम्मेदार आरोपियों को सामने लाने के लिए इस ग्रीष्म में एक ऐसी योजना शुरू की है। इसके अनुसार, आग लगाने वालों की जानकारी देनेवालों को इनाम देने की योजना है। इससे एक ओर वन को लेकर जागृत रहने वालों को इनाम मिलेगा, वहीं दूसरी ओर लोगों में इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा देने पर वन विभाग का डर बना रहेगा।

फायर लाइन बनाने के दिशा-निर्देश

जंगलों में लगनेवाली आग खुद ब खुद बुझने के लिए फायर लाइन का सबसे बड़ा योगदान रहता है। वन कर्मचारियों की ओर से जंगलों को टुकड़ों टुकड़ों में फायर लाइन से काटा जाता है। जब आग फायर लाइन तक आती है, तो आगे केवल मिट्‌टी रहने से आग आगे नहीं बढ़ पाती है। हर साल ग्रीष्म में इसकी खास तैयारी की जाती है। इस बार भी फायर लाइन बनाने का काम शुरू हो गया है। इसके लिए 15 फरवरी तक इसे पूरा करने के दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।

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