मध्यान्ह भोजन में बच्चों को क्यों नहीं दिया जा रहा अण्डा, मुख्यमंत्री के निर्णय को चुनौती

मध्यान्ह भोजन में बच्चों को क्यों नहीं दिया जा रहा अण्डा, मुख्यमंत्री के निर्णय को चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-18 08:31 GMT
मध्यान्ह भोजन में बच्चों को क्यों नहीं दिया जा रहा अण्डा, मुख्यमंत्री के निर्णय को चुनौती

मानव अधिकार आयोग में याचिका, वैज्ञानिकों की समिति का गठन करने की माँग
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
आँगनबाड़ी और स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन में अण्डा नहीं दिए जाने मुख्यमंत्री के निर्णय को चुनौती दी गई है। मानव अधिकार आयोग में याचिका दायर कर माँग की गई है कि बच्चों को अण्डा दिए जाने के मामले में वैज्ञानिकों की समिति का गठन किया जाए। समिति की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाए। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव और डॉ. एमए खान की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने आँगनबाड़ी और स्कूली बच्चों को मध्यान्ह भोजन में अण्डा नहीं दिए जाने का निर्णय जल्दबाजी में लिया है। 
इस संबंध में वैज्ञानिकों से सलाह नहीं ली गई है। याचिका में कहा गया कि एमीनो एसिड से बने प्रोटीन के सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है। अण्डे में प्रोटीन बड़ी मात्रा में पाया जाता है। कोरोना काल में बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए अण्डा एक सशक्त और सस्ता प्रोटीन है। याचिकाकर्ता का कहना है अंडा सस्ता और सुलभ सब्टीट्यूट है। याचिका में बच्चों को 17 सितंबर से दूध दिए जाने के निर्णय को अच्छा बताया गया है, लेकिन मिलावटी दूध की सप्लाई से सावधान रहने के लिए भी कहा गया है।
 

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