मजदूरों ने कलेक्ट्रेट में डाला डेरा, अभी तक नहीं मिली मजदूरी
मजदूरों ने कलेक्ट्रेट में डाला डेरा, अभी तक नहीं मिली मजदूरी
डिजिटल डेस्क अनूपपुर । कलेक्ट्रेट कार्यालय खुलने के साथ ही आधा सैकड़ा मजदूर जिनमें दो दर्जन महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में ही अपना डेरा डाल दिया। मजदूरों ने आरोप लगाया कि उन्हें कटनी और उमरिया जिले से वन विभाग अनूपपुर के बसखला में पदस्थ एसके तिवारी वन रक्षक द्वारा मजदूरी के लिए बुलवाया गया था। कटनी से लगभग दो दर्जन मजदूर व उमरिया जिले से 36 मजदूर काम करने के लिए अनूपपुर आए हुए थे। लगभग 72 हजार गड्ढे इन मजदूरों के द्वारा खोदे गए और जब मजदूरी की मांग मजदूरों द्वारा की गई तो वन रक्षक द्वारा झूठे मामले में फंसा देने की धमकी दी जा रही है। शिकायत के बाद वन विभाग के आला अधिकारीयों को घटना की जांच कराते हुए मजदूरी के भुगतान संबंधी निर्देश दिए गए। देर शाम तक इन मजदूरों का परिवार कलेक्ट्रेट में ही जमा रहा।
यह है मामला
वन परिक्षेत्र कोतमा अंतर्गत बसखला में पौध रोपण के लिए वर्षा पूर्व गड्ढे खोदने का कार्य वन विभाग द्वारा कराया जा रहा था। इस काम के लिए उमरिया व कटनी जिले के मजदूरों से वन रक्षक एसके तिवारी द्वारा संपर्क किया गया व 10 रुपए प्रति गड्ढे की दर से भुगतान कराए जाने की बात भी कही गई। 14 मई को दोनों ही जिलो के मजदूर एक साथ कलेक्ट्रेट पहुंच कर मजदूरी मांगने पर झूठे मामले में फंसाने व मजदूरी नहीं दिए जाने की शिकायत करने लगे।
हरकत में आया वन अमला
मजदूरों द्वारा कलेक्ट्रेट में डेरा रखने की बात जैसे ही वन विभाग के अधिकारीयों को पता चली तत्काल ही मौके पर कोतमा रेंज से अधिकारीयों को भेजा गया। मौके पर मजदूरों ने लिखित आवेदन दिया कि उमरिया से आए मजदूरों द्वारा 37370 गड्ढे खोदे गए हैं। वहीं कटनी से आए मजदूरों द्वारा 34710 गड्ढे खोदे जाने की बात कही गई। शिकवा शिकायतों के बाद वन महकमे द्वारा भौतिक सत्यापन कराए जाने की बात कहकर भुगतान करने की बात कह रहा था किंंतु मजदूरों ने वापस जाने से इंकार कर दिया।
परेशान रही महिलाएं
कलेक्ट्रेट परिसर में मजदूरों के साथ ही दो दर्जन से ज्यादा महिलाएं व बच्चे भी मजदूरों के साथ ही डटे रहे। अधिकारीयों के निर्देश पर कलेक्ट्रेट व वनमंडलाधिकारी कार्यालय के बीच चक्कर भी लगाने पड़े। गर्मी और आवागमन को लेकर बच्चे और महिलाएं परेशान रहे। मजदूरी का देर शाम तक निर्धारण नहीं होने के कारण भुगतान को भौतिक सत्यापन तक के लिए टालने की बात कही जा रही।
मामला और भी है
एक अन्य मामले में वर्ष 2014 में पुष्पराजगढ़ वन परिक्षेत्र अंतर्गत पकरीपानी में आईएपी मद से सड़क का निर्माण कराया गया था। जिसमें राजस्थान से आए मजदूरों से कार्य कराया गया। इस काम में भी 4 लाख 70 हजार का भुगतान नहीं किया गया। बाद में हुई शिकायत के बाद वन परिक्षेत्राधिकारी पावर सिंह ने वनमंडलाधिकारी डीएस कनेश को स्वयं आवेदन दिया था कि मेरे द्वारा यह राशि खर्च हो गई है। जिसे मैं संबंधित व्यक्ति को वापस कर दूंगा। स्वलिखित इस इकरारनामे पर आज तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। वहीं डीएफओ का स्थानान्तरण दो वर्ष पूर्व हो गया तथा रेंजर भी गुमशुदा है। रुपयों के लिए रिछपाल नामक ठेकेदार 18 जुलाई 2014 से लगातार चक्कर काट रहा है।
इनका कहना है।
मजदूर गड्ढो का भौतिक सत्यापन कराए बिना ही भुगतान चाहते हैं इसी बात को लेकर शिकायतें की जा रही हैं।
आरएस त्रिपाठी, वन परिक्षेत्राधिकारी कोतमा