फिल्मों से सीख ले रहे युवा, नो थैंक्यू, ओनली हेल्प’ थॉट कर रहे फालो

फिल्मों से सीख ले रहे युवा, नो थैंक्यू, ओनली हेल्प’ थॉट कर रहे फालो

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-30 08:21 GMT
फिल्मों से सीख ले रहे युवा, नो थैंक्यू, ओनली हेल्प’ थॉट कर रहे फालो

डिजिटल डेस्क, नागपुर। समाज में जागरूकता और क्रांति लाने का काम युवा कर सकते हैं और आज के युवा समाज को एक अच्छी दिशा में ले जाने के लिए काम भी कर रहे हैं। कॉलेज स्टूडेंट्स हमेशा ही कुछ अलग करने के बारे में सोचते हैं, जिससे समाज को कुछ फायदा हो सके। अगर वे फिल्में भी देखते हैं, तो उससे कुछ बेहतर सीख भी लेते हैं। सलमान खान की ‘जय हो’ फिल्म के बाद कई युवाअों ने ‘नो थैंक्यू, ओनली हेल्प’ थॉट को फॉलो किया है। अब वे अपने जूनियर्स, रिलेटिव्स, फैमिली और फ्रेंड्स को भी इसी थॉट को फॉलो करने की सीख देते हैं, जिससे कि किसी जरूरतमंद को मदद मिल सके। समाज में कई जरूरतमंद हैं, जिन्हें मदद की आवश्यकता है और सभी मिलकर अगर हेल्प करने की सोच अपना लें, तो समाज की दिशा में नया परिवर्तन ला सकते हैं।

फिल्मों से मिलती है प्रेरणा
कई फिल्में हमें बहुत सारी बातें सिखा देती हैं। सलमान खान की फिल्म ‘जय हो’ से बहुत बड़ा थॉट आया है। जिस तरह हमने इस बात को फॉलो किया, उसी तरह समाज में हर व्यक्ति इसे फॉलो करे, तो हर जरूरतमंद व्यक्ति को मदद मिल सकती है। चाहे कुछ भी हो, बस मदद करना उद्देश्य होना चाहिए। समाज में कई व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्हें मदद की आवश्यकता है और उन्हें मदद नहीं मिल पाती है। हम कॉलेज स्टूडेंट्स हमेशा सभी को यही सलाह देेते हैं कि अच्छे से अच्छा कार्य करें और हमेशा किसी की मदद करें। 
निशांत मित्तल, स्टूडेंट

वाॅट्सएप ग्रुप का नाम ही बदल दिया

पहले हमारे ग्रुप का नाम कॉलेज ग्रुप था, पर हमने उसे बदल कर ‘नो सॉरी, नो थैंक्यू’ रख दिया। इसे पढ़कर ही सब समझ जाते हैं कि इस ग्रुप में सॉरी और थैंक्यू बोलना मना है। सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि हमारे सारे फ्रेंड्स इस बात को फॉलो करते हैं और हमने कई लोगों की मदद भी की है। किसी को ब्लड दिया, तो कई बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहे हैं और बहुत सारे ऐसे काम भी हम सभी फ्रेंड्स मिलकर करते हैं। हम किसी के काम आ सकें, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। 
सोनाली सदाचार, स्टूडेंट

स्कूल के बच्चों को भी दी यही सीख
स्कूल के बच्चों को भी थैंक्यू के बदले हेल्प करने का थॉट समझाया है। हम फुटपाथ के बच्चों को पढ़ाते हैं और उन्हें भी ऐसा ही करने के लिए कहा है। बच्चे इसे फॉलो भी करते हैं। इससे उन्होंने भी मदद करना शुरू कर दिया। एक बच्चे ने बताया कि उसे एक दादाजी दिखे, जिन्हें रोड पार करनी थी। तब उसने रोड क्रॉस करवाने में उनकी मदद की। उस 12 वर्ष के बच्चे की बात सुनकर बहुत ही अच्छा लगा। उसने हमारी बात मानी और हमारी सोच को फॉलो किया।
अमर पटेल, स्टूडेंट

Similar News