शाहनगर के रामहर्षण कुंज में चल रही श्रीमद् भागवत कथा

Sanjana Namdev
Update: 2023-08-13 06:02 GMT

डिजिटल डेस्क, शाहनगर नि.प्र.। नगर के श्री रामहर्षण कुन्ज में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शनिवार के दिन प्रयागराज से पहुंचे कथा वाचक अवध बिहारी महराज ने महाभारत में कुन्ती के द्वारा मांगे गए वचनों का मार्मिक प्रसंग सुनाया। प्रसंग सुनते ही श्रोताओं की आंखे नम हो गयीं। कथा व्यास ने बताया की महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था। युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर की राजगद्दी संभाल ली थी। भगवान श्रीकृष्ण द्वारिका लौट रहे थे सारे पांडव दुखी थे। श्रीकृष्ण उन्हें अपना शरीर का हिस्सा ही लगते थे जिसके अलग होने के भाव से ही वे कांप जाते थे लेकिन श्रीकृष्ण को तो जाना ही था। कोई भी श्रीकृष्ण को जाने नहीं देना चाहता था।

भगवान भी एक-एक कर अपने सभी स्नेहीजनों से मिल रहे थे। सबसे मिलकर उन्हें कुछ ना कुछ उपहार देकर श्रीकृष्ण ने विदा ली। अंत में वे पांडवों की माता और अपनी बुआ कुंती से मिले। भगवान ने कुंती से कहा कि बुआ आपने आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा आज कुछ मांग लीजिए जिससे कुंती की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि हे श्रीकृष्ण अगर कुछ देना ही चाहते हो तो मुझे दुख दे दो। मैं बहुत सारा दुरूख चाहती हूं जिस पर श्रीकृष्ण आश्चर्य में पड़ गए। श्रीकृष्ण ने पूछा कि ऐसा क्यों बुआ तुम्हें दुख ही क्यों चाहिए जिस पर कुंती ने जवाब दिया कि जब जीवन में दुख रहता है तो आपका स्मरण भी रहता है। सुख में तो यदा-कदा ही तुम्हारी याद आती है।  

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