आमलकी एकादशी व्रत तिथि व पूजा विधि व मुहूर्त...

आमलकी एकादशी व्रत तिथि व पूजा विधि व मुहूर्त...

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-10 04:22 GMT
आमलकी एकादशी व्रत तिथि व पूजा विधि व मुहूर्त...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि सदैव महाशिवरात्रि और होली पर्वों के बीच में आती है। ईस्वी कैलेंडर के अनुसार आमलकी एकादशी इस बार 17 मार्च 2019 रविवार को पर आ रही है। एकादशी तिथि 16 मार्च 2019 को 23:33 बजे प्रारम्मभ होगी। वहीं इसकी समाप्ति 17 मार्च 2019, 20:51 बजे होगी। 

आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि
आमलकी एकादशी में भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन विष्णु भक्त ‘आमलकी एकादशी व्रत’ रखते हैं और इस व्रत में आंवले के वृक्ष की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि यह पावन तिथि समस्त पापों का विनाश करने की शक्ति रखती है। जो फल सौ गायों का दान करने से प्राप्त होता है, उतना ही फल इस एक आमलकी एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से प्राप्त होता है। यह माना जाता है कि आवलें के वृक्ष की उत्पत्ति श्री विष्णु के मुख से हुई थी, इसलिए इस दिन आवलें के वृक्ष की पूजा की जाती है। आमलकी एकादशी व्रत के समापन की क्रिया को पारण कहा जाता है। इसे व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद किया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले अवश्य हो जाना चाहिए। किन्तु यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाए तब भी इस व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए। 

आमलकी एकादशी के बारे में कई पुराणों में वर्णन मिलता है। कथा के अनुसार इसी दिन सृष्टि के आरंभ काल में आंवले के वृक्ष की उत्पत्ति हुई थी। आंवले की उत्पत्ति के​ विषय में एक कथा आती है कि ब्रह्मा जी जब विष्णु जी के नाभि कमल से उत्पन्न हुए थे, तब उन्हें जिज्ञासा हुई कि उनकी उत्पत्ति कैसे हुई है। इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए ब्रह्मा जी तपस्या में लीन हो गए।

ब्रह्मा की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए। भगवान विष्णु को सामने देखकर ब्रह्मा जी खुशी से रोने लगे। ब्रह्मा जी के आंसू भगवान विष्णु की चरणों में गिरने लगे। ब्रह्मा जी की इस भक्ति-भाव को देखकर भगवान विष्णु प्रसन्न हुए। फिर ब्रह्मा जी के आंसुओं से आमलकी यानि आंवले की उत्पत्ति हुई। अर्थात् आंवले के पेड़ की उत्पत्ति हुई।

इस दिन क्या करें?
व्रत उपवास के नियम का तो पालन करें। साथ ही आज के दिन आंवले के पेड़ का रोपण करना बहुत शुभ होता है। घर में सुख समृद्धि बनी रहती है एवं रोग-शोक से मुक्ति मिलती है। आंवले का पेड़ वैसे भी औषध रूप में अत्यंत प्रभावशाली है। इसे दूसरों को गिफ्ट भी कर सकते हैं। ऐसा करने से बह्रमा, विष्णु एवं महेश तीनो का आशीर्वाद प्राप्त होता है एवं समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलती है। अमलाकी एकादशी के व्रत से मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है। कहा जाता है ऐसा नहीं करने से वंश पर असर पड़ता है।

इस दिन क्या ना करें ?
एकादशी के दिन लहसुन, प्याज का सेवन करना भी वर्जित है। इसे गंध युक्त और मन में काम भाव बढ़ाने की क्षमता के कारण अशुद्ध माना गया है। इसी प्रकार एकादशी और द्वादशी त‌िथ‌ि के द‌िन बैंगन खाना अशुभ होता है। एकादशी के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने वाले को नरक की यातनाएं झेलनी पड़ती है।

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