गोविन्द द्वादशी आज, जानें नियम एवं महत्व

गोविन्द द्वादशी आज, जानें नियम एवं महत्व

Manmohan Prajapati
Update: 2019-03-11 09:08 GMT
गोविन्द द्वादशी आज, जानें नियम एवं महत्व

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गोविन्द द्वादशी व्रत के देवता भगवान श्री हरीविष्णु हैं और यह व्रत मनोवांछित फलों को देने वाला व भक्तों के कार्य सिद्ध करने वाला होता है। आज 18 मार्च को गोविन्द द्वादशी है। इस दिन प्रात:काल संकल्प के साथ व्रत रखें एवं षोडशोपचार या पंचोपचार के द्वारा पूजन करें। इस व्रत में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें। यह व्रत भगवान गोविन्द की कृपा प्राप्त करने लिए किया जाता है। जो सब प्रकार का सुख-वैभव देने वाला और कलियुग के समस्त पापों का शमन करने वाला है। इसमें ब्राह्मण को दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ आदि का बहुत ही महत्व है।

गोविन्द द्वादशी का व्रत फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को यह व्रत किया जाता है। जिसमें पूजा, सदाचार, शुद्ध आचार-विचार पवित्रता आदि का विशेष महत्व है। यह व्रत धन, धान्य व सुख से परिपूर्ण करने वाला है। रोगों को नष्ट करने वाला होता है। इसके व्रत से मानव जीवन के समस्त रोगादि छूट जाते हैं और अंत में वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती।

पुराणों में यह कथा मिलती है 
एक अहीर अर्थात यादव कन्या ने इस व्रत का पालन किया था, जिससे वह अप्सराओं की अधीश्वरी हुई और वही कन्या उर्वशी नाम से विख्यात हुई। यह व्रत कलियुग के पापों को नष्ट करने वाला है। 

इन मंत्रों से करें आराधना
फाल्गुनमास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी परम पूजनीय कल्याणिनी है। इस व्रत में "ॐ नमो नारायणाय नम:, श्रीकृष्णाय नम:, सर्वात्मने नम:" आदि नामों से भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है।

ऐसे करें पूजा-अर्चना 
गोविन्द द्वादशी का व्रत शांत चित से श्रद्धापूर्ण किया जाता है। यह व्रत पूजा के सारे नियम एकादशी के व्रत की भांति ही होते हैं। यह व्रत पुत्र-पौत्र धन-धान्य देने वाला है। गोविन्द द्वादशी पूजा के नियम प्रात:काल स्नान के बाद संध्यावंदन करने के बाद षोडशोपचार विधि से लक्ष्मीनारायण भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने के उपरांत ही स्वयं भोजन करना चाहिए। सम्पूर्ण व्रत को भगवान लक्ष्मीनारायण को अर्पित कर देना और पूरे घर-परिवार सहित अपने कल्याण धर्म, अर्थ, मोक्ष की कामना से करना चाहिए।

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