मां सिद्धिदात्री की इस विधि से करें पूजा, इस मंत्र का करें उच्चारण

दुर्गा नवमीं मां सिद्धिदात्री की इस विधि से करें पूजा, इस मंत्र का करें उच्चारण

Manmohan Prajapati
Update: 2021-10-12 12:00 GMT
मां सिद्धिदात्री की इस विधि से करें पूजा, इस मंत्र का करें उच्चारण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्रि के नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस बार तिथियों के बढ़ने के चलते नवरात्रि 8 दिनों की हैं, जिसके चलते नवमीं तिथि 14 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ रही है। पूरे नौ दिनों की उपासना के साथ ही इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है। कई लोग जहां अष्ठमी के दिन कन्या पूजन करते हैं तो वहीं कई नवमीं के दिन, लेकिन महत्व दोनों ही दिन है। 

कहा जाता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन पुराणिकशास्त्र की विधि-विधान और माता की पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को इस दिन सर्व सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले भक्त सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। इससे उन्हें यश, बल और धन की प्राप्ति होती है। 

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दर्गा नवमीं पूजा मुहूर्त
तिथि आरंभ: 13 अक्टूबर, बुधवार रात 8 बजकर 7 मिनट से 
अभिजीत मुहूर्त: गुरुवार सुबह 11:43 से दोपहर 12:30 बजे तक
शुभ मुहूर्त: सुबह 11 बजे से दोपहर 12 :35 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 : 49 बजे से सुबह 5:37 मिनट तक

स्वरूप
अपने सांसारिक स्वरूप में देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।

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लगाएं प्रसाद और भोग  
नौवें दिन सिद्धिदात्री को मौसमी फल, हलवा, पूड़ी, काले चने और नारियल का भोग लगाया जाता है। जो भक्त नवरात्रों का व्रत कर नवमीं पूजन के साथ समापन करते हैं, उन्हें इस संसार में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दुर्गासप्तशती के नवें अध्याय से मां का पूजन करें। नवरात्र में इस दिन देवी सहित उनके वाहन, सायुज यानी हथियार, योगनियों एवं अन्य देवी देवताओं के नाम से हवन करने का विधान है इससे भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें कन्या पूजन
मां की पूजा के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। उन्हें मां के प्रसाद के साथ दक्षिणा दी जाती है और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जाता है।

स्तुति श्लोक:-

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ! 

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी !!

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