पितरों को मोक्ष दिलाने वाली फाल्गुन अमावस्या बुधवार को , जानें महत्व 

पितरों को मोक्ष दिलाने वाली फाल्गुन अमावस्या बुधवार को , जानें महत्व 

Manmohan Prajapati
Update: 2019-03-03 11:54 GMT
पितरों को मोक्ष दिलाने वाली फाल्गुन अमावस्या बुधवार को , जानें महत्व 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन मास जो कि अल्हड़पन और मस्ती के लिए जाना जाता है और हिंदू वर्ष का अंतिम मास होता है। फाल्गुन माह में पड़ने वाली अमावस्या ही फाल्गुन या कहें फाल्गुनी अमावस्या कहलाती है। जो इस वर्ष अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार 6 मार्च 2019 को दिन बुधवार को पड़ रही है। अमावस्या से पहले महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है। यह अमावस्या पितरों को मोक्ष दिलाने वाली होती है। इस दिन गंगा स्नान बहुत ही शुभ माना जाता है। 

यह हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या भी होती है। अमावस्या से पहले यानि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी पर भगवान शिवशंकर भोलेनाथ की आराधना के पर्व महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या का बहुत महत्व होता है, लेकिन फाल्गुनी अमावस्या का अपना ही एक विशेष माहात्म्य है। अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले दान,तर्पण, श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है।

श्राद्ध दान तर्पण 
मान्यता है कि जो मृत्यु पर्यन्त मृत आत्माएं पितृ लोक पंहुचती हैं। यह उनका एक प्रकार से अस्थाई निवास होता है और जब तक उनके भाग्य का अंतिम निर्णय नहीं होता उन्हें वहीं रहना पड़ता है। इस अवधि में उन्हें भूख और प्यास की अत्यंत पीड़ा सहन करनी पड़ती है क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में समर्थ नहीं होते। उनकी इस पीड़ा का निवारण तभी होता है जब भू लोक से उनके सगे-संबंधि, परिचित या कोई भी उन्हें मानने वाला उनके लिए श्राद्ध दान तर्पण करता है। वैसे श्राद्ध पक्ष में हमेशा उसी तिथि को श्राद्ध किया जाता है जिस तिथि को दिंवगत आत्मा इस लोक से पर लोक गमन करती है, लेकिन यदि यह संभव न हो और किसी कारण वह तिथि मालूम न हो तो प्रत्येक मास में आने वाली अमावस्या को यह किया जा सकता है।

धार्मिक तीर्थों पर आयोजन
साल में 12 अमावस्याएं आती हैं यदि निरंतरता में प्रत्येक अमावस्या को आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो कुछ अमावस्याएं विशेष तौर पर सिर्फ श्राद्ध कर्म के लिये शुभ मानी जाती हैं। फाल्गुन मास की अमावस्या उन्हीं में से एक है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए पूजा भी अमावस्या के दिन विशेष रूप से की जाती है। फाल्गुनी अमावस्या पर कई धार्मिक तीर्थों पर फाल्गुन मेलों का आयोजन भी होता है।

अमावस्या तिथि आरंभ – 5 मार्च 2019 को 6:44 संध्याकाल से

अमावस्या तिथि समाप्त – 6 मार्च 2019 8:49 रात्रि तक  
 

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