जानें कैसे मनाते हैं यह पवित्र त्योहार, क्या है इसका महत्व

गुरुनानक जयंती 2021 जानें कैसे मनाते हैं यह पवित्र त्योहार, क्या है इसका महत्व

Manmohan Prajapati
Update: 2021-11-19 05:16 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरू गुरुनानक देव की जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन देश सहित पूरी दुनिया में धूम धाम से मनाई जाती है। 552 वीं जयंती आज यानी कि 19 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जा रही है। इस जयंती को प्रकाश उत्सव या गुरु परब के नाम से भी जाना जाता है। 

बता दें कि, यह सिख समुदाय के पवित्र त्योहारों में से एक है और हर साल बड़ी भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गुरुनानक जयंती उत्सव पूरनमाशी दिवस या पूर्णिमा दिवस से दो दिन पहले शुरू होता है। इसमें अखंड पाठी, नगर कीर्तन आदि जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। 

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कैसे मनाया जाता है पर्व
गुरु नानक जयंती के मुख्य दिन अमृत वेला में उत्सव शुरू होता है। इस दिन गुरुद्वारों में सुबह भजनों का पाठ किया जाता है। इसके बाद कथा और कीर्तन का वर्णन किया जाता है। वहीं प्रार्थना के बाद, सिख लंगर या सामुदायिक 
भोजन का आयोजन भी किया जाता है। नगरों में भी कई स्थानों पर लंगर लगाए जाते हैं। जबकि गुरुद्वारों में लंगर के बाद, कथा और कीर्तन का पाठ जारी रहता है और रात में गुरबानी के गायन के साथ उत्सव का समापन होता है।

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इन नामों से जाना जाता है
गुरुनानक देव जी को मानने वाले इन्हें नानक, नानक देव जी, बाबा नानक, नानक साहेब और नानकशाह नामों से भी जानते हैं। लद्दाख व तिब्बत में इनको नानक लामा भी कहा जाता है। गुरु नानक जी अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु आदि गुण संजोये हुए थे। अधिकतर लोगों का मानना है कि बाबा नानक एक सूफी संत थे और उनके सूफी कवि होने के प्रमाण भी पर लगभग सभी इतिहासकारों द्वारा समय-समय पर दिए जाते रहे हैं।

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