14 मार्च से शुरू हुए होलाष्टक, इन दिनों में भूलकर भी न करें ये शुभ काम

14 मार्च से शुरू हुए होलाष्टक, इन दिनों में भूलकर भी न करें ये शुभ काम

Manmohan Prajapati
Update: 2019-03-07 11:24 GMT
14 मार्च से शुरू हुए होलाष्टक, इन दिनों में भूलकर भी न करें ये शुभ काम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। होलाष्टक 14 मार्च 2019 से प्रारंभ हो गए हैं जो 20 मार्च 2019 यानि होलिकादहन तक चलेंगे। होलाष्टकों में किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करना निषेध होता है। होलाष्टक समाप्त होने के बाद भी ज्योतिषीय दृष्टि से भद्रा की छाया रहेगी। साथ ही चैत्र कृष्ण पक्ष भी प्रारंभ हो जाएगा। परिणामस्वरूप विवाहों के शुद्ध मुहूर्त पर विराम यथावत लगा रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इन 8 दिनों में किसी भी शुभ कार्य का आरम्भ नहीं किया जाता है। 

भारतीय मुहूर्त विज्ञान व ज्योतिष शास्त्र प्रत्येक कार्य के लिए शुभ मुहूर्तों का शोधन कर उसे करने की अनुमति देता है। कोई भी कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है। इस धर्म धुरी से भारतीय भूमि में प्रत्येक कार्य को सुसंस्कृत समय में किया जाता है, अर्थात्‌ ऐसा समय जो उस कार्य की पूर्णता के लिए उपयुक्त हो।

हिन्दू नववर्ष का नया संवत चैत्र नवरात्र के साथ छह अप्रैल को प्रारंभ हो जाएगा। इस संवत के समय बिना सुझाए विवाह भी किए जाते हैं। वैसे नए वर्ष का विवाह कलेंडर 15 अप्रैल से आरम्भ होगा जो जुलाई तक रहेगा। जिस प्रकार सूर्य और चंद्र ग्रहण में गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने की मनाही रहती है। उसी प्रकार होलाष्टक में भी गर्भवती स्त्रियों को नदी नाले पार करने की मनाही रहती है।

ये शुभ कार्य हैं वर्जित
इस प्रकार होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि से एक होलाष्टक दोष माना जाता है, जिसमें विवाह, गर्भाधान, गृह प्रवेश, निर्माण,पुंसवन, नामकरण, मुण्डन विद्यारम्भ, गृह प्रवेश व निर्माण, गृह शान्ति, हवन यज्ञ कर्म, स्नान, तेल मर्दन आदि शुभ कार्य वर्जित हैं। ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है। अर्थात्‌ इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह,विकारादी के शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु या रोग शारिरिक कष्ट होने की आशंका बढ़ जाती है। लेकिन होलाष्टक में फागोत्सव की बहुत धूम रहेगी।

होलाष्टक समाप्त होने पर रंगों का त्यौहार धूमधाम के साथ खेला जाता है। वैसै तो रंगों का त्यौहार भारत के अलावा दूसरे देशों में भी रंगों में सराबोर होकर मनाया जाता है, लेकिन देश के कुछ हिस्सों में इसकी छटा देखते ही बनती है। ब्रजमंडल की लट्ठमार होली का रंग कुछ अलग ही होता है। इसके साथ ही मथुरा, वृंदावन, बरसाना आदि जगहों पर रंगों के साथ फूलों का होली का भी विशेष महत्व है। ब्रज मंडल में भगवान श्रीकृष्ण को आराध्य मानकर होली का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें भाग लेने देश-दुनिया के लोग मथुरा पहुंचते हैं।
 

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