व्रत: पापांकुशा एकादशी से मिलेगी सभी पापों से मुक्ति, जानें क्या है पूजा विधि

व्रत: पापांकुशा एकादशी से मिलेगी सभी पापों से मुक्ति, जानें क्या है पूजा विधि

Manmohan Prajapati
Update: 2020-10-27 03:42 GMT
व्रत: पापांकुशा एकादशी से मिलेगी सभी पापों से मुक्ति, जानें क्या है पूजा विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन शुक्ल पक्ष दशहरे के बाद पड़ने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है, जो कि आज मंगलवार को है। भगवान श्री विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस एकादशी का बहुत महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने वालों को पाप से मुक्ति मिलती है। यही नहीं यह एकादशी पिछली पीढ़ीयों के पाप भी नष्ट करती है। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से यमलोक की यातनाओं को भोगना नहीं पड़ता है।

इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है। चूंकि यह एकादशी आज सुबह 9 बजे लग रही है, इसलिए इसका व्रत 27 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। वहीं व्रत का पारण अगले दिन 28 अक्टूबर को होगा। आइए जानते हैं इस एकादशी की पूजा विधि और मुहूर्त...

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एकादशी तिथि  
एकादशी तिथि प्रारंभ: 26 अक्तूबर 2020 सुबह 09:00 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त: 27 अक्तूबर 2020 सुबह 10:46 बजे तक
व्रत पारण  28 अक्तूबर 2020 : सुबह 08:44 बजे तक

ऐसे करें पूजा
- इस दिन प्रातः काल या सायं काल श्री हरि के पद्मनाभ स्वरुप का पूजा करें।
- मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजा करें।
- भगवान को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें, एक वेला पर पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें।
- शाम को आहार ग्रहण करने के पहले उपासना, सेवा और आरती अवश्य करें। 
- इस दिन ऋतुफल और अन्न का दान करना विशेष शुभकारी होता है।

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सभी को पापों से मुक्ति
पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था कि पापांकुशा एकादशी पर भगवान "पद्मनाभ" की पूजा की जाती है। इस दिन पापरूपी हाथी को इस व्रत के पुण्यरूपी अंकुश से वेधने के कारण ही इसका नाम "पापांकुशा एकादशी" हुआ है। इस दिन मौन रहकर श्री मदभागवत का स्मरण तथा भोजन का विधान है।

इस प्रकार भगवान की अराधना करने से मन शुद्ध होता है तथा व्यक्ति में सद्-गुणों का समावेश होता है। पापांकुशा एकादशी पर भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की उपासना होती है। पापांकुशा एकादशी के व्रत से मन शुद्ध होता है। इस व्रत से जातक के पापों का प्रायश्चित हो जाता है साथ ही माता, पिता और मित्र को तक पाप से मुक्ति मिल जाती है।

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