पुत्रदा एकादशी आज, इस पूजा से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं होती हैं दूर

पुत्रदा एकादशी आज, इस पूजा से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं होती हैं दूर

Manmohan Prajapati
Update: 2021-01-17 10:40 GMT
पुत्रदा एकादशी आज, इस पूजा से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं होती हैं दूर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में व्रतों का काफी महत्व है, इनमें एकादशी व्रत विशेष तौर पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति ​के लिए किया जाता है। पौष मास में शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। जो कि इस साल 24 जनवरी 2021 यानी कि आज है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वालों की भगवान विष्णु सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।  

जिन व्यक्तियों को संतान होने में बाधाएं आती हैं या जिन्हें पुत्र प्राप्ति की कामना हो उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। यह व्रत बहुत ही शुभ फलदायक होता है इसलिए संतान प्राप्ति के इच्छुक भक्तों को यह व्रत अवश्य रखना चाहिए जिससे कि उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सके। आइए जानते हैं इस पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि​ के बारे में...

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पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त
व्रत प्रारंभ: 23 जनवरी, शनिवार, रात 8:56 बजे से 
व्रत समाप्ति: 24 जनवरी, रविवार, रात 10: 57 बजे तक
पारण का समय: 25 जनवरी, सोमवार, सुबह 7:13 से 9:21 बजे तक

व्रत नियम
जो जातक एकादशी का व्रत करता है उसे एक दिन पहले ही अर्थात् दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रत के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए। सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके श्रीहरि विष्‍णु का ध्यान करना चाहिए। अगर आपके पास गंगाजल है तो पानी में गंगा जल डालकर नहाना चाहिए। पूरे दिन निराहार रहकर संध्या समय में कथा आदि सुनने के बाद फलाहार करें। दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए, उसके बाद भोजन करना चाहिए। इस दिन दीपदान करने का बहुत महत्व है।

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पूजा विधि
इस पूजा के लिए श्रीहरि विष्णु की फोटो के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लेने के बाद कलश की स्थापना करनी चाहिए। फिर कलश को लाल वस्त्र से बांधकर उसकी पूजा करें। भगवान श्रीहरि विष्णु की प्रतिमा रखकर उसे स्नानादि से शुद्ध करके नया वस्त्र पहनाएं। इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना तथा आरती करें और नैवेद्य और फलों का भोग लगाकर प्रसाद वितरण करें। श्रीहरि विष्णु को अपने सामर्थ्य के अनुसार फल-फूल, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बेर, आंवला आदि अर्पित किए जाते हैं। 

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