राखी पर 12 साल बाद 'चंद्रग्रहण', आपके 12 सालों का पुण्य नष्ट कर देंगे ये काम

राखी पर 12 साल बाद 'चंद्रग्रहण', आपके 12 सालों का पुण्य नष्ट कर देंगे ये काम

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-05 04:50 GMT
राखी पर 12 साल बाद 'चंद्रग्रहण', आपके 12 सालों का पुण्य नष्ट कर देंगे ये काम

डिजिटल डेस्क, भोपाल। रक्षाबंधन पूर्णिमा के दिन सोमवार 7 अगस्त को आंशिक चंद्रग्रहण पड़ रहा है। साल 2017 का ये दूसरा चंद्रग्रहण होगा। खास राखी पर ही चंद्रग्रहण का ये दूसरा अवसर है, जो 12 साल बाद आया है। विद्वान इसे चूड़ामणि चंद्रग्रहण भी कहते हैं। 

यहां आएगा नजर

आंशिक चंद्रगहण भारत समेत यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका,प्रशांत, अटलांटिक, हिंद महासागर, अंटार्कटिका में दिखाई देगा। सभी स्थानों पर इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे एक मिनट होगी। आंशिक ग्रहण की अवधि 1 घंटे 55 मिनट है।

यहां हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें ग्रहण के दौरान करने से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं और किसी प्रकार का कोई दोष नहीं लगता...

1. चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। 

2. श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।

3. सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक "अरुन्तुद" नरक में वास करता है।

4. सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।

5. ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।

6. ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।

7. ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।

8. ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।

9. ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।

10. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

11. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। 

12. ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।

13. ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

14. ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। 

15. गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। तीन दिन या एक दिन उपवास करके स्नान दानादि का ग्रहण में महाफल है, किन्तु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रान्ति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।

16. भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।

17. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। 

18. भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।

ये भी जानें

  • चंद्रग्रहण में अपने आसपास पानी रखें और उसको ग्रहण के बाद किसी पेड़ या पौधे में डाल दें।
  • ग्रहण के बाद गोमूत्र  या गंगाजल डालकर घर में छिड़क दें।
  • सूखे पदार्थ तेल घी आदि में ग्रहण का प्रभाव नहीं होता है।
  • गर्भवती स्त्री नाभि पर या घर के दरवाजे पर गोबर या गेरू लगाएं।
  • सबसे उत्तम उपाय है कि हम स्थिर होकर मानसिक जप करें।

ज्योतिषविद् अंजना के अनुसार

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