रथ सप्तमी: आज है सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त

रथ सप्तमी: आज है सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त

Manmohan Prajapati
Update: 2020-01-30 09:48 GMT
रथ सप्तमी: आज है सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के मुताबिक माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी के नाम से जाना जाता है। भगवान सूर्य की उपासना का यह पर्व इस वर्ष 1 फरवरी 2020 को यानी कि आज मनाया जा रहा है। इस पर्व में सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। पूरे विधि-विधान से ये पूजा करना सेहत संबंधी सारी परेशानियां दूर करता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-आराधना करने से शुभ फल प्राप्त होता है।

सूर्य सप्तमी के अलावा कई और नामों से भी जाना जाता है, जैसे अचला सप्तमी और आरोग्य सप्तमी। वहीं रविवार को ये तिथि पड़ने पर इसे भानु सप्तमी नाम से जाना जाता है। ये भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना का दिन है। मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव को जल अर्पित करने से शरीर रोगमुक्त हो जाता है।

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शुभ मुहूर्त
माघ शुक्ल सप्तमी तिथि प्रारंभ : 31 जनवरी 2020, शनिवार 15:50 बजे से
माघ शुक्ल सप्तमी तिथि का अंत : 01 फरवरी 2020, रविवार 18:08 बजे तक

पूजा की विधि
सूर्य पूजा में शरीर की शुद्धि का खास महत्व है। इसके लिए स्नान के बाद आक के सात पत्तों को सिर पर रखें और सूर्यदेव का ध्यान करते हुए ये मंत्र पढ़ें- "नमस्ते रुद्ररूपाय रसानां पतये नम:, वरुणाय नमस्तेअस्तु", इसके बाद भगवान को धूप-दीप अर्पित करें। रथ सप्तमी पर तेल और नमकयुक्त भोजन से परहेज करें।

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महत्व
इस दिन सूर्य का पूजन सेहत के लिए खास महत्व रखता है। माना जाता है कि जिन्हें कोई भी शारीरिक विकार हो, वे लोग अगर पूरे मन से सूर्यदेव की पूजा करें तो सारे शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। सूर्य पूजा विशेषकर चर्मरोगों को दूर करती है। संतान सुख के लिए भी इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। ग्रहों के कष्ट दूर करने में भी सूर्य पूजा का महत्व है, इससे ग्रहदोष दूर हो जाते हैं।

रथ सप्तमी की कथा
शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान कृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक सौष्ठव पर घमंड हो गया था। इसी गर्व में उन्होंने दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया। ऋषि के श्राप से शाम्ब को कुष्ठ रोग हो गया। पुत्र को घोर कष्ट में देख कृष्ण जी ने शाम्ब को सूर्य आराधना के लिए कहा। शाम्ब की पूजा से प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें स्वस्थ होने का आशीर्वाद दिया। तब से इस दिन स्वास्थ्य के लिए भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।

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