पंचक के समय भूलकर भी ना करें ये कार्य, अन्यथा हो सकते हैं घातक परिणाम

पंचक के समय भूलकर भी ना करें ये कार्य, अन्यथा हो सकते हैं घातक परिणाम

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-03 09:09 GMT
पंचक के समय भूलकर भी ना करें ये कार्य, अन्यथा हो सकते हैं घातक परिणाम

डिजिटल डेस्क। सावधान वर्ष का पहला पंचक 9 जनवरी से पड़ रहा है। पंचक के समय ना करें ये कार्य, अन्यथा झेलने पड़ सकते हैं घातक परिणाम। पंचक 9 जनवरी 2019 दिन बुधवार को 11:25 मिनिट दिन से लग रहा है। जो 14 जनवरी 2019 को 8:45 मिनिट दिन सोमवार सुबहा तक रहेगा। पंचक के दिनों में सभी शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। इस बार 13 दिसंबर, 2018 सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर प्रारंभ होकर पंचक 18 दिसंबर, 2018 सुबह 4बजकर 18 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष में शुभ नक्षत्रों में शुभ कार्य करना सही माना जाता है वहीं कुछ नक्षत्र ऐसे भी होते हैं जिन्हें बहुत अशुभ माना जाता है। इन नक्षत्रों में शुभ कार्य करने केबाद या तो उसमें बाधा आती है या फिर उस कार्य में सफलता मिलना कठिन हो जाता है।

ऐसे ही कुछ अशुभ नक्षत्रों के नाम है धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद एवं रेवती, जिन्हें अशुभ माना जाता है। धनिष्ठा नक्षत्र के प्रारंभ से लेकर रेवती नक्षत्र के अंत तक का समय अशुभ माना गया है, जिसे पंचक कहा जाता है। पांच दिनों की यह समय अवधि  वर्ष में कई बार आती है। जो 2019 में प्रथम बार आरही है। इसलिए सामान्य जन को इस समय में अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी विशेष कार्य इन पांच दिनों में संपन्न ना करें तो उचित रहेगा है। या फिर इसके लिए आप किसी विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इन पांच दिनों में ना तो बिलकुल दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करें, नाही घर की छत या खाट,पलंग,फर्नीचर और नाही ईंधन का सामान इकट्ठा करें।

ज्योतिषाशास्त्रियों के अनुसार पंचक भी अनेक प्रकार के होते हैं। आइए बताते हैं पंचकों के प्रकार: - 

  • यदि पंचक का प्रारंभ रविवार के दिन से हो तो इसे रोग पंचक कहा जाता है। इस पंचक के प्रभाव में आकर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करन पड़ सकता है।
  • इस समय में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करना निषेध बताया गया है। मांगलिक कार्यों के लिए भी यह पांच दिन अनुपयुक्त होते हैं।
  • यदि पंचक का प्रारंभ सोमवार से हो तो इसे राज पंचक कहा जाता है, यह पंचक बहुत शुभ माना गया है। 
  • ऐसी भी मान्यता है कि इस समय सरकारी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और बिना किसी बाधा के संपत्ति से जुड़े विवादों का निदान होता है।
  • यदि पंचक का प्रारंभ मंगलवार से हो तो इस पंचक की अवधि में आग लगने का भय रहता है जिस कारण से इस पंचक को बहुत ही अशुभ कहा जाता है। इस समय औजारों की खरीददारी, निर्माण या मशीनरी कार्य करना अशुभ होता है।
  • किन्तु इस पंचक के समय में कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों और अधिकार प्राप्त करने जैसे मामलों का श्रीगणेश किया जा सकता है, क्योंकि इन मामलों में सफलता मिलने की संभावना अधिक होती है।
  • यदि पंचक का प्रारंभ शनिवार से हो तो यह पंचक सबसे अधिक घातक होता है क्योंकि इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। यदि इस समय अवधि में किसी कार्य की शुरुआत की जाये तो व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्ट भोगना पड़ सकता है।
  • शनिवार से शुरू हुए पंचक के समय में कोई भी जोखिम पूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए। अन्यथा व्यक्ति को चोट लगने, दुर्घटना होने और मृत्यु तक की आशंका होती है।
  • ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार शुक्रवार से शुरू हुए पंचक, जिसे चोर पंचक भी कहा जाता है, इस समय में यात्रा नहीं करनी चाहिए। और इसके साथ मे धन से जुड़ा कोई भी कार्य पूर्णत: निषेध ही माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि इस समय मे धन की हानि होने की संभावनाएं प्रबल रहती हैं।
  • यदि पंचक का प्रारंभ बुधवार या बृहस्पतिवार से प्रारंभ तो उन्हें बहुत अधिक अशुभ नहीं होता है। पंचक के मुख्य निषेध कर्मों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है। 
  • धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि से जुड़े कोई भी कार्य करने से बचना चाहिए, इससे आग लगने का भय रहता है।
  • दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा जाता है। पंचक के समय दक्षिण की ओर यात्रा करना अशुभ है, ऐसा करने से हानि होना लगभग निश्चित होता है।
  • रेवती नक्षत्र में कभी घर की छत नहीं बनवानी चाहिए, इससे धन की हानि के साथ ही साथ घाट होने का भी भय रहता है।
  • गरुण पुराण के अनुसार पंचक के समय में शव का अंतिम संस्कार करते समय किसी योग्य विशेषज्ञ से पूछकर आटे या कुश (एक प्रकार की घास) के पांच पुतलों को भी शव के साथ रखकर पूरे विधान के साथ अंतिम संस्कार करने से पंचक के दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार पंचक को बहुत अशुभ माना जाता है, लेकिन इसके बाद भी वैवाहिक जैसे कार्य करने में किसी प्रकार का भय नही होता है।
  • पंचक में तीन नक्षत्र पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद व रेवती, रविवार को होने से 28 योगों में से 3 शुभ योग चर, स्थिर व प्रवर्ध, आदि बनाते हैं। इस समय में शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त करने का विचार किया जा सकता है।
  • अशुभ होने के बाद भी पंचक में कई विशेष शुभ कार्य किए जा सकते हैं, जोकि अलग-अलग नक्षत्रों पर निर्भर करते हैं।
  • घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चल संज्ञक माने जाते हैं, इसमें आप वाहन से जुडे कार्य या यात्रा जैसे कार्य कर सकते हैं।
  • उत्तरभाद्रपद नक्षत्र को स्थिर संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है, इसमें आप अचल संपत्ति से जुड़े कार्य कर सकते हैं। आप नया घर,मकान खरीद सकते हैं, भूमि से जुड़े कार्य, गृह प्रवेश और खेत में बीज रोपण करने जैसे कार्य भी कर सकते हैं।
  • रेवती नक्षत्र को मैत्री संज्ञक माना जाता है, इस समय आप नए कपड़े या आभूषण खरीदने के साथ-साथ व्यापारिक समझौता भी कर सकते हैं।

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