24 जनवरी को संकष्टी चतुर्थी, जानें माघ माह के व्रत पर्व एवं त्यौहार
24 जनवरी को संकष्टी चतुर्थी, जानें माघ माह के व्रत पर्व एवं त्यौहार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी माघ माह 21 जनवरी से 19 फरवरी 2019 तक रहेगा। इनमें 24 जनवरी गुरुवार को संकष्टी चतुर्थी रहेगी। माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इसे संकष्ट चतुर्थी अथवा संकट चौथ भी कहते हैं। व्रत से एक दिन पहले रात्रि में स्त्रियां हाथों में मेहंदी भी लगाती हैं। अगले दिन सुबह सवेरे नहा धोकर तैयार होती हैं। तिलों का तिलकुट बनाया जाता है। दोपहर बाद फिर संकट चौथ की कहानी सुनी जाती है। कहानी सुनने के बाद तिलकुट के साथ अन्य सामग्रियां रखकर बायना निकालकर सास अथवा ससुर को देते हैं। बायने में अपनी श्रद्धा व यथाशक्ति से कपड़े और रुपए रख सकते हैं। इसके अलावा और कौन से व्रत पर्व एवं त्यौहार इस अवधि में आएंगे, आइए जानते हैं...
31 जनवरी गुरुवार को षटतिला एकादशी
माघ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को किया जाता है और इसके अधिष्ठाता देव विष्णु जी हैं। इस एकादशी में छ: प्रकार के तिलों का प्रयोग होता है इसलिए इसे षटतिला एकादशी कहा जाता है इस दिन पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान को स्नान कराना चाहिए। माना गया है कि जो मनुष्य जितने तिलों का दान करता है वह उतने सहस्त्र वर्ष स्वर्ग में वास करता है। इस दिन तिल मिश्रित पदार्थों का सेवन किया जाता है और ब्राह्मण को भी यह पदार्थ खिलाना चाहिए। हर एकादशी की भाँति इस में भी भगवान की मूर्ति के सामने रात्रि जागरण करते हुए भजन-कीर्तन करना चाहिए। एकादशी पर नियम व विधि विधान से पूजा करने पर मनुष्य अंत में बैकुंठ धाम को जाता है।
2 फरवरी शनिवार को प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष, मासिक शिवरात्रि
मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे।
4 फरवरी सोमवार को पौष मोनी अमावस्या
माघ माह की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या कहा जाता है। जो इस व्रत को करते हैं उन्हें इस दिन मौन धारण कर के रहना चाहिए तभी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा गया है। जो व्यक्ति इस व्रत को मौन रहकर करते हैं उन्हें मुनि पद की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन मौन रहकर इस व्रत को करने से आत्मबल मिलता है। इस दिन सृष्टि के संचालक मनु का जन्म दिवस भी मनाया जाता है।
10 फरवरी रविवार को बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा
माघ माह की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और सरस्वती की पूजा की जाती है। मांं सरस्वती विद्या की देवी मानी गई है इसलिए विद्यार्थियों और शिक्षार्थियों के लिए यह दिन विशेष माना जाता है और सरस्वती पूजन बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
11 फरवरी सोमवार को शीतला षष्ठी
माघ माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को शीतला षष्ठी कहा जाता जाता है। इस व्रत को करने से आयु तथा संतान कामना का फल मिलता है.। कई स्थानों पर इस दिन कुत्ते को टीका लगाकर पूजने का और पकवान खिलाने का रिवाज भी है। इस दिन जो स्त्रियां व्रत रखती हैं उन्हें गर्म पानी से स्नान नहीं करना चाहिए और ना ही गर्म भोजन करना चाहिए। बंगाल राज्य में इसका ज्यादा महत्व माना गया है। इस दिन शीतला माता का पूजन षोडशोपचार से करने पर पापों का शमन होता है।
12 फरवरी मंगलवार को सूर्य सप्तमी एवं मां नर्वदा जन्मोत्सव
यह व्रत माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता है। यह व्रत स्त्रियों द्वारा रखा जाता है इसलिए इस दिन वे सूर्य नारायण को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं। इस दिन सूर्य भगवान जब भी बादल में से निकलते हैं उस समय सूर्य भगवान को गंगाजल से अर्ध्य देना शुभ माना गया है।
13 फरवरी बुधवार को कुम्भ संक्रांति
ज्योतिशास्त्र के अनुसार कुम्भ संक्रांति अनेक पापों के प्रायश्चित और नाश करने वाली होती है। इस शुभ दिन पर पवित्र नदियों और तालाबों में स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पुराणों में इस दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है।
16 फरवरी शनिवार को जया एकादशी
यह व्रत माघ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस तिथि को भगवान केशव की पुष्प, जल, अक्षत,रोली तथा विशेष सुगंधित पदार्थों से पूजा कर आरती करनी चाहिए। भगवान को प्रसाद का भोग लगा भक्त को स्वयं प्रसाद खाना चाहिए।
17 फरवरी रविवार को प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष
इस व्रत में भगवान महादेव की पूजा की जाती है। यह प्रदोष व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है। उसके सम्पूर्ण पापों का नाश इस व्रत से हो जाता है। इस व्रत के करने से सुहागन नारियों का सुहाग सदा अटल रहता है, बंदी कारागार से छूट जाता है। जो स्त्री पुरुष जिस कामना को लेकर इस व्रत को करते हैं, उनकी सभी कामनाएं कैलाशपति शंकर जी पूरी करते हैं। सूत जी कहते हैं- त्रयोदशी व्रत करने वाले को सौ गऊ दान का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को जो विधि विधान और तन, मन, धन से करता है उसके सभी दु:ख दूर हो जाते हैं।
19 फरवरी मंगलवार को माघ पूर्णिमा व्रत
माघ माह का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व माना गया है। स्नान पर्वों का यह अंतिम प्रतीक मानी गई है। इस दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान आदि कर के विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। पितृ श्राद्ध कर्म तथा भिखारियों को दान आदि देने का इस दिन खास महत्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी अत्यधिक महत्व है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सारे कष्ट व दुखो का अंत होता है।