संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश की इस विधि से करें पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश की इस विधि से करें पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Manmohan Prajapati
Update: 2021-03-02 04:16 GMT
संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश की इस विधि से करें पूजा, कष्टों से मिलेगी मुक्ति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी 02 मार्च मंगलवार को मनाई जा रही है। आज के दिन गणेश भगवान के छठवें रूप "द्विजप्रिय" की पूजा पूजा अर्चना की जाएगी। सभी जानते हैं कि प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा से सभी कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं, हर पूजा के पहले गणेश जी की पूजा होती है।  

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश भगवान के इस रूप की पूजा अर्चना करने से यश, धन, वैभव और अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि...

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शुभ मुहूर्त
तिथि शुभारम्भ: 2 मार्च को सुबह 05 बजकर 48 मिनट से
तिथि समापन: 3 मार्च सुबह 02 बजकर 59 मिनट तक

व्रत विधि
इस दिन व्रत रखा जाता है और और चंद्र दर्शन के बाद उपवास तोड़ा जाता है। व्रत रखने वाले जातक फलों का सेवन कर सकते हैं। साबूदाना की खिचड़ी, मूंगफली और आलू भी खा सकते हैं। मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी संकटों को खत्म करने वाली चतुर्थी है।

पूजन विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहनें। पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें। भगवान के सामने हाथ जोड़कर पूजा और व्रत का संकल्प लें और फिर उन्हें जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।

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इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाना है।
त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें. इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
पूजन उपरांत चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें. पूजन के बाद लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।

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