शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाया जाता शंख से जल, जानिए क्या है इसका कारण?

शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाया जाता शंख से जल, जानिए क्या है इसका कारण?

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-07 04:21 GMT
शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाया जाता शंख से जल, जानिए क्या है इसका कारण?

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शंख प्रत्येक कार्य के प्रारंभ के लिए शुभ बताया गया है। इसकी ध्वनि से वातावरण में सकारात्मकता संचरण होता है। सामान्यतः सभी देवों को शंख से जल चढ़ाया जाता है। इसे धार्मिक दृष्टिकोण से अति उत्तम बताया गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भक्तों की पुकार सुनने में विलंब ना करने वाले भगवान शंकर को शंख से जल नही चढ़ाया जाता। आखिर ऐसा क्या कारण है, क्यों भगवान शिव को शंख से जल नहीं अर्पित किया जाता? यहां हम आपको शिवपुराण के अनुसार बताने जा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों नहीं किया जाता?

 

शिवपुराण में वर्णित है कथा

सभी देवी-देवताओं को शंख से जल अर्पित किया जा सकता है, शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नहीं अर्पितकरना चाहिए। इस संबंध में एक कथा शिवपुराण में बतायी गई है। वर्णित कथा के अनुसार शंखचूड नाम का महाराक्रमी दैत्य था। वह दैत्यराम दंभ का पुत्र था। दंभ की कोई संतान नही थी। इसके लिए उसे भगवान विष्णु का कठिन तप किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने प्रकट हुए और उसे वर मांगने के लिए कहा, इस पर दंभ ने एक ऐसे पुत्र की कामना की, जिसके समान तीनों लोकों में कोई भी पराक्रमी ना हो। भगवान विष्णु ने ऐसा ही वर उसे प्रदान किया और तथास्तु कहा।

 

 

इसके पश्चात दंभ की पत्नी ने एक पुत्र शंखचूड को जन्म दिया। उसने भी पिता के समान पुष्कर में ब्रम्हाजी की घोर कठिन तपस्या की। ब्रम्हदेव के प्रसन्न होने पर उसने स्वयं को देवताओं से अजेय होने का वर मांगा। इस पर ब्रम्हदेव ने उसे कृष्णकवच प्रदान किया एवं उसे धर्मध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने आज्ञा प्रदान की। इसके बाद दोनों का विवाह हो गया। ब्रम्हा और विष्णु के वरदान से शंखचूड अति शक्तिशाली हो गया औ अत्याचार शुरू कर दिए। उससे देवता परेशान हो गए और भगवान शिव से मदद मांगी, किंतु वे भी तुलसी के पतिव्रत और कृष्णकवच से उसका वध नही कर पाए। तब भगवान विष्णु ने उसका कृष्णकवच दान में लिया और तुलसी का व्रत खंडित कर दिया।

 

इसके बाद भगवान शिव ने शंखचूड़ का त्रिशूल से वध कर दिया। शंखचूड की हड्डियों से शंख का निर्माण हुआ। वे दोनों विष्णु भक्त थे अतः विष्णु-लक्ष्मी पूजन में शंख से जल अर्पित करने पर वे अति प्रसन्न होते हैं, किंतु शिव ने उसका वध किया था अतः शिवपूजन में शिवलिंग पर शंख से जल अर्पित करना निषेध बताया गया है। 

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