उपाय: ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न, पूरे होंगे बिगड़े हुए काम 

उपाय: ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न, पूरे होंगे बिगड़े हुए काम 

Manmohan Prajapati
Update: 2020-05-09 09:11 GMT
उपाय: ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न, पूरे होंगे बिगड़े हुए काम 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जीवन में सुख दुख होना आम बात है। लेकिन कई बार विभिन्न तरह की विपत्तियां शनिवार के दिन देखने में आती हैं। ऐसे में व्यक्ति विशेष इस बात का ध्यान रखता है कि यह नुकसान क्यों और किस कारण से हो रहा है? लेकिन तमाम प्रयासों के बाद भी परिस्थितियां ठीक नहीं होती। ऐसा माना जाता है कि इसका कारण शनि का भारी होना हो सकता है। यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है, तो आपको शनि को शांत करने के लिए कुछ उपाय करने के साथ विशेष पूजन विधि से शनिदेव को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए- 

शनिवार की पूजन विधि 
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा धोकर और साफ कपड़े पहनकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करना चाहिए।
- इस दिन लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। 
- इसके बाद मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें।

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- फिर काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें।
- पूजन के दौरान शनि के दस नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर।
- पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करना चाहिए।
- इसके बाद शनिदेव का मंत्र पढ़ते हुए प्रार्थना करें-
शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥

शनि कवच
इसके अलावा शनि ग्रह की पीड़ा से बचने के लिए अनेकानेक मंत्र जाप, पाठ आदि शास्त्रों में दिए गए हैं। शनि देव के कई प्रकार के मंत्र, स्त्रोत, या पाठ हैं। इन सब में से शनि कवच एक है। धार्मिक मान्यता और ज्योतिष के मुताबिक शनि कवच के पाठ नियमित करने से जीवन की बड़ी से बड़ी बाधा दूर हो जाती है। चूंकि कवच का अर्थ ही ढाल या रक्षा होता। जो व्यक्ति शनि कवच का पाठ नियम से करता है उसे शनि महाराज डराते नहीं है।

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शनि की दशा हो, अन्तर्दशा हो, शनि की ढैय्या हो अथवा शनि की साढ़ेसाती ही क्यों ना हो, कवच का पाठ करने पर कष्ट, व्याधियाँ, विपत्ति, आपत्ति, पराजय, अपमान, आरोप-प्रत्यारोप तथा हर प्रकार के शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक कष्टों से दूर रहता है। जो व्यक्ति इस कवच का पाठ निरंतर करता है। उसे अकाल मृत्यु तथा हत्या का भय भी नहीं रहता है, क्योंकि ढाल की तरह जातक की सुरक्षा होती है। 

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