हर साल बढ़ जाता है शालिग्राम का आकार, 2 सौ साल में हुआ इतना बड़ा

हर साल बढ़ जाता है शालिग्राम का आकार, 2 सौ साल में हुआ इतना बड़ा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-06 05:56 GMT
हर साल बढ़ जाता है शालिग्राम का आकार, 2 सौ साल में हुआ इतना बड़ा

डिजिटल डेस्क, पटना। पकीबावली मंदिर, बिहार के पश्चिम चंपारण में ये मंदिर स्थित है। यहां गर्भग्रह में भगवान शालिग्राम की पिंडी मौजूद है, जिसे लेकर कहा जाता है कि इसका आकार हर साल बढ़ता है। करीब 2 सौ साल पहले नेपाल नरेश जंग बहादुर ने इसे भेंट किया था। यह पिंडी एक कलश पर रखी हुई है। 

 
शालिग्राम पिंडी के आकार को लेकर बताया जाता है कि दो सौ साल पहले जब इसे यहां लगाया गया था तो इसका आकार मटर के दाने बराबर ही था, लेकिन धीरे-धीरे बढ़कर एक ये नारियल के आकार से भी दो गुना बड़ा गया है। 

स्थानीय लोगों की मान्यता है कि ये जीवित शालिग्राम है। अर्थात लोग इसे जीवित पिंडी मानते हैं। वैज्ञानिक भी अपनी रिसर्च इसके आकार को लेकर कर चुके हैं। हालांकि कुछ खास रहस्य यहां से हाथ नहीं लग सके। लगातार बढ़ रही इस पिंडी के दर्शनों के लिए लगातार लोगों का आना यहां लगा रहता है। यह मंदिर एक बावली से किनारे पर लगा हुआ है। 

 

दुर्लभ किस्म के चिकने व चमकदार 

शालिग्राम की हिंदू धर्म में अत्यधिक मान्यता है। ये दुर्लभ किस्म के चिकने व चमकदार पत्थर होते हैं। ये नीले, सफेद व भूरे भी हो सकते हैं। शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। बताया जाता है कि ऐसे शालिग्राम पत्थर नेपाल में स्थित काली गंडकी नदी के तट पर ही पाए जाते हैं। यहां भी भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। भगवान शालिग्राम का विवाह तुलसी से होता है। यह परंपरा युगों पुरानी है। जिस शालिग्राम पर भगवान विष्णु के चक्र की आकृति होती है। उसे पूर्ण शालिग्राम माना जाता है। 

 

एक कहानी भी प्रचलित है

इस पत्थर को लेकर एक कहानी भी प्रचलित है। कहा जाता है नेपाल नरेश एक बार बगहा जिले में अपना कैंप लगाकर ठहरे थे। तब एक हलवाई ने उनकी सेवा की। नरेश ने उन्हें नेपाल आने का न्यौता दिया और यह पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया। हलवाई ने इसे भारत लाकर मंदिर में स्थापित किया। तब से इसका आकार बढ़ रहा है। 

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