Padmavati controversy: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा "किसी और देश में देखा है क्या ऐसा?"

Padmavati controversy: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा "किसी और देश में देखा है क्या ऐसा?"

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-08 05:32 GMT
Padmavati controversy: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा "किसी और देश में देखा है क्या ऐसा?"

डिजिटल डेस्क, मुंबई। संजय लीला भंसाली की फिल्म "पदमावती" को लेकर अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि देश में फिल्म के रिलीज होने को लेकर ऐसी धमकियां क्यों दी जा रही हैं। किसी और देश में ऐसा होते हुए देखा है क्या? कोर्ट ने पूछा कि एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की हत्या के लिए खुलेआम इनाम की घोषणा कैसे की जा रही है? ऐसी बातों से देश की छवि को धक्का लगता है। कोर्ट ने तीखे शब्दों में कहा कि क्या आप लोग देश में ऐसा माहौल चाहते हैं जहां लोग अपने विचार न रख सकें।


मुख्यमंत्रियों की निंदा की 

जस्टिस एससी धर्माधिकारी और भारती डांगरे की बेंच ने कहा, कि "ऐसा किस देश में होता है जहां कलाकारों को इस तरह की धमकियां दी जाती हो? निर्देश लोग मेहनत करके फिल्म बनाते हैं और धमकियों की वजह से वह लोगों तक नहीं पहुंच पाती है।" देश में कुछ लोग कहते हैं कि कलाकारों की हत्या के बदले इनाम दिया जाएगा। प्रदेश के सीएम भी फिल्म का विरोध करते हैं और फिल्म रिलीज नहीं किए जाने की बात कहते हैं।  अगर इस तरह का व्यवहार देश में अमीरों के साथ हो रहा है तो गरीबों का क्या होगा?" 

 

देश की छवि हो रही धूमिल

कोर्ट ने कहा कि यह एक अलग तरह की सेंसरशिप है जो कि भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही है। हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, फिर भी हम दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही ऐसी घटनाओं से गर्व महसूस करने के काबिल नहीं रहे। बता दें कि फिल्म पद्मावती को लेकर उठे विरोध के चलते फिल्म रिलीजिंग डेट जनवरी में कर दी गई है।  

 


हत्या की सुनवाई के दौरान कही बात

बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी सीबीआई और सीआईडी को फटकार लगाते हुए दी। दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट में नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पनसारे की हत्या के फरार आरोपियों की रिपोर्ट पर सुनवाई हो रही थी। कोर्ट ने कहा कि दाभोलकर की 2013 और पनसारे की हत्या 2015 में हुई थी, लेकिन अभी तक आरोपियों की तलाश ही चल रही है।

 

कंगना ने भी कहा सेंटिमेंटल होना जरूरी


मुंबई में आयोजित एक अवॉर्ड सेरेमनी में कंगना रनौत ने कहा कि "फिल्मों को लेकर लोगों का सेंटिमेंटल होना बहुत जरूरी हैं। यह कहना गलत है कि लोग फिल्म को लेकर सेंटिमेंटल न हों अगर हम लोगों तक पहुंचना चाहते हैं तो हम फिल्मों के द्वारा ही पहुंच सकते हैं।"

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